Powered By Blogger

Saturday, December 25, 2010

सवालों का चक्रव्यूह


2जी स्पेक्ट्रम घोटाले मामले की जांच कर रही सीबीआई ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा से कई मुद्दों पर पूछताछ कीसीबीआई और राजा के बीच सवाल जवाब का दौर करीब नौ घंटे तक चला... सीबीआई ने राजा को वो दस्तावेज भी दिखाए, जो पिछले साल दूरसंचार विभाग के कार्यालयों पर मारे गए छापों में ज़प्त किए गए थे... सीबीआई के राजा से पूछे गए अहम सवाल कुछ इस तरह थे...
·         कॉपरेरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया के कहने पर किन टेलीकॉम कंपनियों को कम कीमतों पर स्पेक्ट्रम दिए गए?
·         राडिया से राजा की नजदीकी के पीछे वजह क्या है ?
·         तत्कालीन दूरसंचार सचिव के कम दामों पर स्पेक्ट्रम आवंटन करने को मना करने के बावजूद उसे नजरअंदाज क्यों किया?
·         पहले आओ पहले पाओ की 2001 की नीति को क्यों क्यों बदला गया?
·         ऐसी क्या जल्दी थी कि स्पेक्ट्रम आवंटन को महज 45 मिनट में ही निपटा दिया गया?
राजा के सामने सबसे कठिन सवाल ये था कि....
·         एक टेलीकॉम कंपनी ने स्पेक्ट्रम आवंटन की धनराशि का चेक एक दिन पहले ही कैसे काट दिया?
इससे यह साबित होता है कि उस कंपनी को ये पता था कि उसे लाइसेंस मिलने वाला है... ये वही कंपनी है जिसके तार नीरा राडिया से सीधे जुड़े हैं... राजा से यूएएस एकीकृत लाइसेंस सेवा के आवंटन के बारे में भी पूछताछ की गई...इसमें आगे की जांच जारी है.... और आगे भी राजा सीबीआई के सवाल के चक्रव्यू में गिरे रहेगे....  



Thursday, December 23, 2010

सीबीआई... सवाल... राजा और राडिया

राजा और राडिया की साठ-गाठ ने देश के सबसे बड़े घोटाले को अंजाम दिया है... जिसकी जाच पड़ताल में सीबीआई जुटी है... 1 लाख 76 करोड़ रु0 के 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में फंसी नीरा राडिया एक बार फ़िर करेगी सीबीआई का सामना... 2जी स्‍पेक्‍ट्रम लाइसेंस में हुए घोटाले से चर्चा में आईं नीरा राडिया लियाजनिंग करने वाली देश की बड़ी हस्तियों में शुमार हैं... टेलीकॉम कंपनियों और सरकार के बीच अहम भूमिका निभाने वाली राडिया से सीबीआई लगातार पूछताछ कर रही है... लेकिन इस घोटाले से कई ऐसे नाम भी जुड़े है जो सफेदपोश की आड़ में देशद्रोह का खेल खेल रहे है... जिसमें राजनेता... उद्योगपति और कई नामी पत्रकार शामिल हैं... बहरहाल इससे पहले भी राडिया को सीबीआई तलब चुकी है... और उनके कई ठिकानों पर छापेमारी भी की गई है... सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को पिछले महीने दिए एफिडेविट में कहा था कि... इस पूरे मामले में राडिया का रोल संदिग्ध है.... सीबीआई छापे के दौरान कई सबूत मिलने के दावे भी कर रही है... राडिया पर देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप भी है... एफिडेविट में कहा गया है कि राडिया ने 9 साल में 300 करोड़ रुपए का बिजनेस खड़ा कर दिया है.... 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच में जुटी सीबीआई ने राजा और राडिया पर सीबीआई का शिंकजा कसता ही जा रहा है... 2जी स्पेक्ट्रम मामले में राडिया पर शक की सूई 16 नवंबर 2007 में अटकी... जब राडिया के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई... उसके बाद 20 अगस्त 2008 से 120 दिन तक और फिर 11 मई 2009 से 9 जुलाई 2009 तक... 180 दिन राडिया की बातचीत की रिकॉर्ड की गई... 23 दिसंबर 2009 को आयकर  महानिदेशक ने राडिया के 1450  कॉल रिकॉर्ड कर सीबीआई को सौंपे... मई 2010 में सीबीआई ने आयकर महानिदेशक से 20 अगस्त 2008 से 9 जुलाई 2009 तक राडिया की पूरी बातचीत के टेप उपलब्ध कराने को कहा... पहली बार अप्रैल 2010 में राडिया और अन्य के बीच हुई बातचीत आयकर विभाग ने टेप की जो मीडिया में सुर्खियां बनी...... लेकिन नवंबर 2010 में ये टेप पूरी तरह से मीडिया में छा गया... टेप की बातचीत के अंश प्रकाशित करने के लिए उन मैगज़िस को नोटिस भी जारी किए गए जिसने ये टेप प्रकाशित किए थे.... सरकार को भी राडिया पर चोरी और विदेशी ख़ुफ़िया एजेंसियों के लिए जासूसी करने का शक है... सरकार राडिया की बातचीत के 140 टेपों को वापस हासिल नहीं करने की बात कर रही है...क्योंकि ये टेप कई जगह प्रकाशित हो चुकी है.... राडिया देश के दो बड़े उद्योगपतियों की कंपनियों के लिए जनसंपर्क का काम करती थीं... अब तक सार्वजनिक हुए टेप से खुलासा हुआ है कि वो ग्राहक कंपनियों को फायदा पहुँचाने के लिए जर्नलिस्ट से लेकर नेताओं का किस तरह से इस्तेमाल करती रही थीं... देश में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से मची उथल-पुथल के बाद सरकार को राडिया पर चोरी और विदेशी ख़ुफ़िया एजेंसियों के लिए जासूसी करने का शक है.... एक तरफ सरकार का कहना है कि वो राडिया की बातचीत के 140 टेपों को वापस हासिल नहीं कर सकती क्योंकि पूरी टेप कई जगह प्रकाशित हो चुकी है... एक न्यूज़ मैग्जीन ने नीरा राडिया की बातचीत के 800 नये टेप मिलने का का दावा किया है... सवाल ये है कि इन 800 टेपों की जानकारी ऐसे समय में मिली है जब सरकार ने नीरा की बातचीत के सारे टेप एक सील बंद लिफ़ाफ़े में सुप्रीम कोर्ट को सौप दिये हैं... राडिया देश के दो बड़े उद्योगपतियों की कंपनियों के लिए जनसंपर्क का काम करती थीं... अब तक सार्वजनिक हुए टेप से खुलासा हुआ है कि वो ग्राहक कंपनियों को फायदा पहुँचाने के लिए जर्नलिस्ट से लेकर नेताओं का किस तरह से इस्तेमाल करती रही थीं...

Thursday, December 9, 2010

Year of the Scams


Year 2010 is the year when maximum scams came to light. In this year many scam have been opened and came infront the public,.These scams includes many kind of scams in various fields. Mumbai Aadrash Housing  Society scam of former Chief Minister of Mharastra  Ashok Chauhan , Delhi Commonwealths Games scam of former President of CWGS Organizing committee Suresh Kalmadi  and  Bangluru Land scam of  Chief Minister of Karnataka  B.S Yadurappa,  as well as the mining  scam of Reddy Brothers. One another scam of 2010 which has been highlighted is  Indian Premier League scam of former commissioner of IPL  Lalit Modi . And Most recently opened scam is  UP’s Food scam which occurred during the govt of  Samajwadi Party (SP). During this year many types of scams opened, but the biggest scam of the year is 2G spectrum scam. this scam is of 1.77 lakh crores of rupees. The blame of this scam on former Communication Minister A Raja. This scam has links with other countries also. one thing is common in all these scams. All these scam are blame on high profile personalities and they have got big power and support. this is a white color crime. Due to these  the  common man is suffering the burden of inflation. Actually we want to say only to UPA Government that please  don’t play hide & seek game with common man and stop the corruption please take hard action against  corrupt Leaders, Officers, and Business Tycoon. 


MARZIYA JAFAR

Wednesday, December 8, 2010

Varansi bomb blast

The Varansi Bomb Blast is slap on Security Agencies of  India. Because one day before the blast was 6th December the anniversary of “BABRI MOSQUE” demolition and due to this the alert was already given.There should had been extra management of Security due to this alert  but there was no such of arrangement of Security at the “Ghats” of  varansi. Even the metal detector was damaged. It is clear that the inspite of alerts the Security is not looked up well. Anyways During blast at a two year old girl has died and 27 people have been injured, in the list of injured 6 people are foreigner. One is the the from Italy. Who is majority injured.
The bomb blasted at 6.30 pm and   the it was time for  “Ganga Aarti’’ The blast occurred in a milk container kept at the Ghat. Yesterday was Tuesday therefore in the “Sheetla Ghat” and “Dashasumer Ghat”  there was lots of rush and everybody was bussy in “Ganga Aarti”  but due to this blast the Aarti  was stopped in mid between.
After the bomb blast High Alert has been  declared in most of the spiritual place of related to Hindus  along with this the Security of  Delhi, Mumbai, Nagpur, Hybrabad and Bangluru has been tighted. After the half & hour of the Blast “Indian Mujahideen” sent  E-mail of Media and took  the responsibility of this attack. During the Investigation. It was found that this E-mail was  sent to from  Navi Mumbai. Police has arrested two people during the investigations.
According to the source this Blast was  done in  remembered  of 18  year back   “BABRI MOSQUE”  demolition. According to the ATS Source E-mail has been sent from the address alfateh00005@gmail.com and for sending  the E-mail  Airtel broadband connection. Those was the used IP address is  122.158.42.223.  According to the Source “Indian Mujahideen’s” member is in involved in this blast his name is  “Dr. Shahnawaz”   from “Azamgarh”. But the question simple arise that what Indian Security Agencies are doing they  always promises for  sure safety but results  are zero. In this condition what  Indian can do.After seeing the situation of the country we feel that we will have to take some step against terrorist. Our government is only a  rubber stump and is of no good. Because before five years ago also the  blast “SANKAT MOCHAN” temple  23 February in 2005 and in that blast 8 people died as dead. Despite as this Security and safety is being ignored.   MARZIYA JAFAR

Monday, December 6, 2010

घाटी में परदेसी परिंदे

चाहे लगा लो जितने पहरे... कुछ रिश्ते होते है इंसानियत से भी गहरे... सरहद पार से लम्बी उड़ान भरकर आए ये बे-ज़ुबान परदेसी परिंदे शायद अपनी मीठी सी चहचहाहट के ज़रिये प्यार और अमन का पैग़ाम लेकर आए है... की दुनिया की कोई भी शै इन पर बंदिश नहीं लगा सकती है... आज़ाद होकर नीलगगन में अपनी ही धुन में मगन होकर उड़ने वाले ये पंक्षी कब कहां बसेरा कर ले ये तो इनकी मर्ज़ी में शामिल होता है... और आजकल इन ख़ूबसूरत तायरों ने अपने पड़ोसी मुल्क भारत को अपना अशियाना बनाया है... इन दिनों ये परदेसी मेहमान घाटी में चहक रहे हैं... इन पंक्षियों की मीठी और सुरीली आवाज़ घाटी की फ़िज़ाओं में मीठे सुर घोल रही है... मस्तमौला मिजाज़ के ये परिंदे घाटी के हालात से बेख़बर बिना किसी ख़ौफ़ के आज़ादी से खुले असमान में उड़ान भर रहे है... दरअसल मध्य एशिया और चाईना में मौसम का मिजाज़ बदलते ही ठंड से बचने के लिए ये तायर घाटी का रूख कर लेते हैं... 15 सितंबर से नवंबर तक ये परदेसी परिंदों का घाटी में आना शुरू हो जाते हैं... और कुछ दिनों यहां अपना बसेरा करने के बाद वापस अपने वतन की तरफ़ रवाना हो जाते है.... ये परदेसी मेहमान हर साल 200,000 की तादात में मध्य एशिया और चाईना से कश्मीर में आते है... जिसमे हर तरह के परिंदे शामिल है... घाटी के नीले अंबर में पंख पसारे हवा से बाते करते इन तायरों की उड़ान का नज़ारा बहुत ही दिलकश होता है... इन परिंदों की आज़ादी देखकर किसी का खुले आसमान में उड़ने का दिल चाहेगा... घाटी में आने वाले सैलानियों को भी ये नज़ारा ख़ूब भा रहा है...

मरज़िया जाफ़र

Wednesday, November 24, 2010

विकास को वोट... जातिवाद को चोट....

चुनावी पिटारे में क़ैद सत्ता के संग्राम से पर्दा उठ गया है... हार जीत का फ़ैसला सरेआम हो गया है... और अब विहार सत्ता की कमान दुबारा संभालने जा रहे हैं पाटलीपुत्र के लायक पुत्र नीतीश कुमार जिसमे विकास के आधार पर बिहार चुनावी समर में अपना परचम लहराया... एक बार फ़िर सत्ता की कमान संभाल कर हुक्मरान-ए-आवाम बन गए नीतीश ने बिहार के राज्यपाल से मिलकर मुख्यामंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और 26 नवंबर को वो दुबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर गठबंधन सरकार बनाएंगे...
इस चुनाव में विकास को वोट और जातिवाद को चोट मिली है... तभी तो जातिवाद की राजनीति करने वाले लालू को ज़ोर का झटका कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से लग गया... 15 साल तक बिहार पर राज कर चुके लालू की लालटेन नीतीश की विकास की आंधी में बुझ गई, और उनके पूरे परिवार का इस चुनाव से पत्ता साफ हो गया है... विधानसभा चुनाव में रबड़ी की मिठास भी फीकी पड़ गई... राबड़ी देवी भी अपने निर्वाचन क्षेत्र राघोपुर और सोनपुर से लुढ़क गई... लालू के साले साधु यादव भी गोपालगंज से चुनावी समर में मुंह के बल गिरे... इसके अलावा मैदान में अकेले उतरी कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल और सोनिया गांधी के पत्ते भी पिट गए... क्योंकि बिहार चुनाव में इस बार सत्तारूढ़ पार्टी ने विकास का मुद्दा उठाया था, जबकि विपक्षी पार्टियों ने सरकार की नाकामी को जनता के बीच उछालने की कोशिश की थी... विपक्ष द्वारा उछाली गई बिहार सरकार की नाकामी उसका सबसे बड़ा हथियार बनी... जिसका नतिजा आपके सामने है कि नीतीश सरकार एक बार फिर सत्ता की कमान संभालने जा रही है... ख़ैर बिहार में एक बार फिर नीतीश की जय और लालू के सर मंडरा रहा है भय...
दल  लीड  जीत  टोटल (243/243)
जेडी(यू)  57 55 112
बीजेपी  42 47 89
आरजेडी 16 6 22
कांग्रेस 3 3 6
एलजेपी 5 1 6
निर्दलीय 4 2 6
अन्य 2 0 2
बीएसपी 0 0 0
लेफ़्ट 0 0 0
ग़ौरतलब है कि बिहार विधानसभा कुल 243 सीटों पर चुनाव हुए... और इस चुनावी मैदान में कुल 1225 उम्मीदवार उतरे जिसमें मुख्य पार्टियों के उम्मीदवार जद (यू) के 141, भाजपा के 102, राजद के 168, लोजपा के 75, कांग्रेस के 243 और बसपा के 239 उम्मीदवार थे... 6 चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव में 52 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया...

मरज़िया जाफ़र






Yaddy will be CM of K’taka

A  quotation  in English. “THERE IS NO SMOKE WITHOUT FIRE”. I mean this quotation fit on  Karnatka Chief Minister B.S Yadurappa.  Actually Yadurappa  is facing lots of problems these days.  Which he created himself.  Yadurappa has been accused of Land Scam in Karnataka. BS Yadurappa  helped his  relatives in getting  land. After this blame high commission of BJP asked Yadurappa to meet him. But Mr. Chief Minister deferred the  demand and kept his own provision in front of the party. BS Yadurappa said clearly that he is not at all involved in this scam. Beside this he also demanded that action should be taken against allegate Minster and leader of the party. After this the party head took final decision on this matter. Ultimately  the party stepped  bown  before Yadurappa  will remain in party.


MARZIYA JAFAR

Friday, November 19, 2010

شاہی شادی کا شاہی جلسہ

موقعہ بھی ہے... ماحول بھی
... اور ساتھ ہی ہے شاہی مجاز
... شاہی لباس مے دربان
... گزرے زمانے کے ریاستی پرچم
گھوڑے-بگغیاں
... دھول تاشے
... ریاستی خوبصورت نققشی دار سجاوٹ اور ہاتھوں میں تلوار لئے باراتیوں نے شاہی
خاندان کے یوراج اور اسٹار پولو کھلادی شیوراج سنگھ کی شادی کے جلسے میں شرکت کی جودھپور کے امید بھون پیلکے میں تقریبن ٦٨ بعد ایک بار پھر سے شاہی نظارہ دیکھنے کو ملا دیللی دربار کے بعد پہلی بار اتنی تدال میں شاہی لباس میں شاہی رنگ میں سرابور اور شاہی جلسے میں ایک ساتھ نظر اے معلق کے بادشاہ ،شہنشاہ ،یوراج اور سامنت کیونکی موقع ہے شاہی خاندان کے یوراج کی شادی کا .... شیوراج اتراکھنڈ کے اسکوٹ کی شہزادی گیٹری کے ساتھ شادی پاک رشتے میں بندہ گئے ....اس موقکے پر ریاستی لذّت کا مزہ لوٹنے معلق اور گیر معلق کس نامی گرامی لوگ پہنچے جسمیں فلمی دنیاں کے شہنشاہ امیتابھ بچچاں سمیت کی ہستیوں نے شرکت کی اسکے علاوہ اس شاہی شادی میں معلق کے کی نریش بھی شامل ہوائی...
معلق کی گنی چنی ریاستوں میں سے مروار کی ریاست جودھپور کا یہ شاہی خاندان آج بھی اپنے شاہی رسموں رواج کے لئے مشہور ہے لیکن آزادی کے بعد اس خاندان نے ایسا شاہی جلسہ نہیں کیا 

مرضیہ جعفر

Thursday, November 11, 2010

कहां....कहां.... बसने लगे भगवान


आस्था और विश्वास का कोई मोल नहीं होता... कहीं भी और किसी भी रूप में भगवान के दर्शन किए जा सकते हैं... ब-र्शत ऊपर वाले में विश्वास और आस्था अटूट हो... लेकिन क्या कभी सोचा है कि भगवान को हज़ारों रूप में बाट चुके इंसान कितनी देर उन्हें दिल में बसाते है... बड़ी शान से अपने घर में स्थापित करते हैं... और विध्वत पूजा अर्चना के बाद उनका विर्जन कर देते है... जितनी शान के साथ भगवान की मूर्तियां घर में लाई जातीं हैं... उतनी ही शान के साथ उनकी भव्य विदाई भी कि जाती है... लेकिन विर्सजन के बाद देवी-देवता की इन प्रतिमाओं के साथ क्या होता है... क्या किसी ने कभी इस बारे में सोचा है, कि जिन्हें घर में शान से लाए, आदर सत्कार दिया ... वही प्रतिमाएं विसर्जन के बाद लावारिस नज़र आती है... जिन्हे हाथों से कभी पूजा उसे ही बाद में क़दमों तले रौंद दिया... उस वक्ता सारा एहसास कहा चला जाता है... जब देवी देवताओं के पोस्टर उनकी मूर्तियां नदी नालों तलाब के इर्द-गिर्द नज़र आते है... बात यहीं ख़त्म नहीं हो जाती... अफ़सोस तो उस वक्त होता है जब उन पवित्र चीज़ो से वहीं इंसान किनारा कसते नज़र आते है जो दिनों रात उनकी पूजा अर्चना करते है... कहने का मतलब ये नहीं की भगवान की बेज़्ज़ती की जा रही हैं...


लेकिन विर्जन के बाद की लापरवाही का नतिजा आप के सामने है... कि किस तरह से कण-कण में बसने वाली शक्ती को एक आकार में ढ़ाल कर उसके साथ कैसा बर्ताव किया जाता है... सवाल ये भी उठता है कि आख़िर पूजा के बाद विर्जन की रस्म कैसे और कहा जा कर अदा कि जाए... भई इंसान तो नदी पर ही जाएगा... और वैसे भी मिट्टी की चीज़ मिट्टी में ही समा जाती है... य़ा उसे साफ़ सुरक्षित और पवित्र पानी में बहाया जाता है... लेकिन बहाने के बाद का नज़ारा आपके सामने है... इससे निपटने के लिए सबको एक जुट होकर काम करना पड़ेगा कि जहां की चीज़ हो उसे वहां भली भांति पहुंचा दिया जाए... ना कि आधे-अधूरे रास्तों पर छोड़कर उसे लोगों के क़दमों में रौदने के लिए छोड़ दिया जाए... क्योंकि हम अपनी आस्था और विश्वास के बल बूते ही उस शक्ति को एक आकार देते है... उसकी पूजा करते है... तो फ़िर मिट्टी से बनाए एक पवित्र आकार को कदमों की धूल कैसे बना सकते है...   

मरज़िया जाफ़र 

Tuesday, October 26, 2010

جین آسٹن کے پیچھے کون تھا؟

جین آسٹن نے اپنی زندگی کے دورن 6 ناول مکمل کیے جن میں سے دو ان کی موت کے بعد شائع ہوئے۔
آکسفرڈ یونیورسٹی کی ایک پروفیسر نے دعویٰ کیا ہے کہ معروف مصنفہ جین آسٹن کا اسلوب خود ان کا نہیں بلکہ ان کے مدیر کے ہنر کا نتیجہ ہو سکتا ہے۔
آکسفرڈ یونیورسٹی کی پروفیسر کیتھرین سودرلینڈ یہ نتیجہ ایسے گیارہ سو صفحات کے مطالعے کے بعد نکالا ہے جو خود جین آسٹن کی اپنی دستی تحریر ہیں اور اب تک غیر مطبوعہ ہیں۔
ان کا کہنا ہے کہ مسودوں میں دھبے اور کاٹ چھانٹ کے بعد ’گرامر کے لحاظ سے عمدہ تصحیح‘ ملتی ہے۔
سودر لینڈ کہتی ہیں کہ ’ایما اینڈ پرسوایشن میں جس نوع کا نکتہ آفرینی پر مبنی عمدہ اسلوب اور اوقاف کا استعمال ہے وہ ان مسودوں میں دکھائی نہیں دیتا‘۔
سودر لینڈ جو یونیورسٹی میں انگریزی زبان اور ادب کے شعبے کی پروفیسر ہیں کہتی ہیں کہ ان کی اس تحقیق سے ثابت ہوتا ہے کہ جین آسٹن ’صاحبۂ اسلوب‘ مصنفہ نہیں تھیں۔
ان کا کہنا ہے کہ اس یہ بھی ثابت ہوتا ہے کہ کوئی اور بھی تھا جو ادارت یا ایڈٹنگ کے عمل میں بھر پور انداز سے شریک تھا۔
سودر لینڈ کو قوی گمان ہے کہ یہ ہنرمندی دکھانے والے شخص ولیم گیفرڈ ہو سکتے ہیں جو اس وقت جیس آسٹن پبلشر جون مرے دوم کے ہاں بطور ایڈیٹر کام کر رہے تھے۔
یہ تحقیق اس منصوبے کا حصہ ہے جس کے تحت جین آسٹن کے تمام مسودوں کو آن لائن دستیاب کیا جانا ہے۔
منصوبہ کنگز کالج لندن، بودلین لایبریری آکسفرڈ اور برٹس لائبریری لندن کی شرکت سے شروع کیا گیا تھا اور 25 اکتوبر کو اس کا اجرا ہونا ہے۔
پروفیسر سودرلینڈ کو جین آسٹن کا ماہر تصور کیا جاتا ہے اور اب ان غیر مطبوعہ اوراق کے مطالعے سے انہیں جین آسٹن کی صلاحتیوں کے مزید قریبی مشاہدے کا موقع ملا ہے۔
ان مسودوں کے مطالعے سے انہیں یہ جاننے کا بھی موقع ملا ہے کہ جین آسٹن تجربات کرنے، نئی سے نئی اختراعات اور نئی سے نئی چیزوں کو سامنے لانے کی کوشش کرتی تھیں۔
اس مطالعے سے یہ بھی انکشاف ہوتا ہے کہ وہ اپنے مطبوعہ ناولوں کے برخلاف گفتگو اور مکالمے لکھنے پر زیادہ دسترس رکھتی تھیں۔ جین آسٹن نے (1817-1775) اپنی زندگی کے دورن چھ ناول مکمل کیے جن میں سے دو ان کی
موت کے بعد شائع ہوئے۔
 
مرضیہ جعفر

Monday, October 25, 2010

मै कौन हुं ?

दिल में लाख जख़्म... जो अब नासूर बन गए हैं...
दर्द तो है... लोकिन ख़ामोश हूं मैं...
क्योंकि आवाज़ ही नहीं मेरी सिसकियों भी दबा दी गई है...
मेरे हालात का पुरसाने हाल कौन है?
कौन है?
मेरी ख़ामोश सिसकियों को सुनने वाला
इंसाफ़ की चौखट ने भी मुझे रूसवा कर भटकने के लिए छोड़ दिया...
मेरी रूदाद सुनकर आप तो समझ ही गए होंगे...
कौन हूं मै!
जी हां मैं हूं बारगाहे इलाही...
मै हूं ना इंसाफ़ की सताई
मैं हूं बाबरी मस्जिद..
.
आज़ाद भारत में 22-23 दिसंबर 1949 की तारिक शब में अचानक किसने जम्हूरियत के सीने पर ऐसा ख़ंजर मारा कि उसी रात से नमाज़ का सदियों पुराना सिलसिला बंद हो गया... चैन-व-अमन की मिसाल कहा जाने वाला ये मुल्क तो आज आज़ाद है, लेकिन मेरी चौखट पर ताला डालकर मुझे ग़ुलामी की ज़जीर में हमेशा के लिए जकड़ दिया गया... और इस दर पर सजदों पर पाबंदी लगाकर बुत परस्ती शुरू कर दी गई... सिक्का-ए-रहजुल वक़्त के हुक़्म के मुताबिक लगाए गए ताले को खोल दिया गया... लेकिन सजदे पर लगाई गईं पाबंदियां बरक़रार रहीं... लम्बी क़ानूनी जंग के बाद अदालते उज़मा से इंसाफ़ की एक किरण नज़र आई थी लेकिन हाल में सुनाऐ फ़ैसले ने क़ौम को अश्क़बार कर दिया अदलिया को शर्मसार कर दिया और मुझे मिस्मार कर दिया... लेकिन मुझे यक़ीन है कि सजदों की तड़प एक दिन ज़रूर इंसाफ़ की दहलीज़ पर कामयाबी और कामरानी हासिल करेगी...
जाए मस्जिद मस्जिद थी...
मस्जिद है...
और मैं इंसाफ़ का इंतज़ार कयामत तक करती रहूंगी...
क्योंकि मेरे साथ जो हुआ वो इंसाफ़ नहीं था... नहीं मानती मैं इसे इंसाफ़... जिसकी बुनियाद ही कमज़ोर हो ऐसा इंसाफ़ किस काम का... मेरी नज़र में विवादित ढ़ांचे से जुड़े दोनो समुदाओं के साथ ना इंसाफ़ी हुई है...
अगर फ़ैसले पर ग़ौर करे तो ये फ़ैसला आस्था के आधार पर किया गया है... जबकि अदालत सुबूतों और गवाहों के बिनाह पर फैसला सुनाती है... और दूसरा ये की जब वहां मस्जिद यानि मैं थी ही नहीं तो परिसर में एक हिस्सा सुन्नी पर्सनल बोर्ड को क्यों दिया गया? और रही निर्मोही आखाड़े की बात तो वहां पुजा-पाठ साधू-संत करते है तो वो हिस्सा तो बरक़रार रहेगा... लेकिन मुझे भीख दी गई है... इसको क्या कहेंगे आप फ़ैसला या समझौता... मेरी नज़र में ये सिर्फ़ ना इंसाफ़ी है और कुछ नहीं...बहरहाल राष्ट्रीय एकता और अखंडता के मद्देनज़र इस ना इंसाफ़ी के फ़ैसले पर सिर्फ़ सब्र किया जा सकता है ना की इसे अपनाया जाए...
मिर्ज़ा मरज़िया जाफ़र 

Friday, September 3, 2010

CWGs is about to start, but capital is not ready for the game

Commonwealth games is about to start, but capital is not ready for the game till now. Yes it is fact. Because after monsoon some areas of delhi has got damaged. There are many places which are suffering from water logging. Most work of CWGs are under construction till now. Let see, will delhi be prepared for CWGs. Anyway, now question simply aries that why delhi government has become dum, deaf and blind. While delhi at this time lots of problem are front of in India. Already there was burden of inflation on common man but now due to fast spreading of disease like dengue common man is faceing extra burdon and problem. In this case when the govt is not taking sensible steps and solve this problems. Then the delhiteis themselves will have to do something.

MARZIYA JAFAR

Friday, June 25, 2010

महंगाई बनाम सरकार

देश में मंहगाई का मीटर लगातार हाई होता जा रहा है...पहले से ही मंहगाई की मार झेल रही जनता को सरकार ने एक बार फ़िर मंहगाई बढ़ाकर ख़ौफ़ज़दा कर दिया है... यूपीए सरकार ने एक झटके में ही पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम बढ़ाकर आम जनता की जेब पर अपना नश्तरी वार कर दिया हैं... सरकार का पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ाना किसी को भी रास नहीं आ रहा है... खुद सरकार के मंत्री से लेकर विपक्ष तक इस फैसले से नाराज़ हैं... और आम आदमी बेबस होकर अपनी बर्बादी का तमाशा देख रहा है... राजनीतिक दल भी जनता की बेबसी पर सियासत की रोटी सेकने में लगे हुए है... पूरे देश में कोहराम मचा रही मंहगाई के लिए भाजपा सड़क पर उतर आई है...वहीं रेल मंत्नी ममता बनर्जी ने पेट्रोलियम उत्पादों में हुई बढ़होतरी पर सख्त नाराज़गी जताते हुए इसे आम आदमी पर बोझ बताया है...
बहरहाल रसोई गैस कीमत 310.25 रुपए से बढ़कर 345.25 रुपए का हो गई है... केन्द्र सरकार ने इससे पहले जून 2008 में रसोई गैस की कीमतों में 40 रुपए प्रति सिलेंडर की वृद्धि की थी...लेकिन विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र दिल्ली सरकार का मंहगाई पर पलटवार हुआ...और रसोई गैस की बढ़ी कीमतों की भरपाई के लिए सब्सिडी दी गई थी... वजह थी वोट बैंक की राजनीति...
पहले से कमरतोड़ मंहगाई झेल रही जनता को सरकार की तरफ़ से एक झटका तब लगा जब ईजीओएम ने पेट्रोल कीमतों को डीरेगुलेट करने के फैसले पर मुहर लगा दी है... जिसके बाद पेट्रोल-डीजल समेत केरोसीन और एलपीजी सिलेंडर भी महंगा हो गया है...
अपना ऐब छुपाते हुए सरकार ने तेल कंपनियों के घाटे के बोझ को जनता पर लादने के इरादे से तेल कीमतों को बाजार के हवाले कर दिया है... जिसके बाद पेट्रोल 3.7 रुपये, केरोसीन 3 रुपये और एलपीजी सिलेंडर 35 रुपये महंगा हो गया है...तेल कंपनियां काफी समय पेट्रोल-डीजल की कीमतों को बढ़ाने के लिए सरकार पर दबाव डाल रही थी... क्योंकि कंपनियों को 115 करोड़ रुपये का घाटा हर दिन हो रहा था... कीमतें बढ़ाने के बाद भी 53,000 करोड़ का घाटा होगा...
सरकार के इस फैसले के बाद सभी सरकारी तेल कंपनियों के शेयरों में बढ़त देखी जा रही है.... पहले ही महंगाई की आंच में झुलस रहे निम्न मध्यम और गरीब तबके को इनकी कीमतों में बढ़ोतरी से चोट पहुंची है....
हमारे देश में ऐसे भी हर चीज़ के दाम बढ़कर बताने का रिवाज रहा है... लेकिन इस बार तो हद हो गई... हाल ही में सरकार ने रसोई गैस सिलेंडर में 25 रुपए की वृद्धि कर दी थी... और दुबार फ़िर से मंहगाई...
यूपीए सरकार की इस हरकत को देखकर लगता है कि... पिक्चर तो अभी बाक़ी है... मंहगाई नाम की फ़िल्म बना रही यूपीए सरकार अभी तो अपना प्रोमो चला रही है...कॉमनवेल्थ गेम्स् के बाद ही मंहगाई पूरी तरह से रिलीज़ की जाएगी...

Tuesday, June 15, 2010

ऑनर किलिंग... इज़्ज़त की उड़ी धज्जीयां

प्यार के दुशमन हर दौर में रहे है... लेकिन ये ज़िद्दी प्यार भी हर दौर में परवान चढ़ा... 100 फ़ीसदी में 10 फ़ीसदी लोग कामयाब हुए...बाक़ी 90 फ़ीसदी का हश्र...बड़ा दर्दनाक हुआ...लेकिन बदलते दौर के साथ-साथ हालात ने भी करवट बदला और प्रेम पुजारियों के लिए उनके अपने ही ख़ून उनके दुश्मन बन बैठे... देश में ऑनर किलिंग के एक के बाद एक कई मामले सामने आ रहे हैं... इज़्ज़त और समाज के डर से लोगों को अपने ख़ून का ही ख़ून बहाने में ज़रा भी तकलीफ़ नही होती...
 ऐसे कई जल्लाद पिता, भाई, मां, के ख़ूख़ार चेहरे समाज के सामने आए है... जिसने अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए अपनी ही औलाद की जान ले ली, अपनी बहन का सुहाग उजाड़ा दिया... लेकिन ऑनर किलिंग का मामला समाज के सामने आने के बाद इनकी इज़्ज़त की धज्जीयां उड़ गई... तब इज़्ज़त और आबरू का कलमा पढ़ने वालों की बोलती ही बंद हो गई, और उसी समाज के सामने नज़रे झुकाने को मजबूर है जिसकी वहज से ऐसे लोगों ने अपनों को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया... ऑनर किलिंग का एक सनसनी ख़ेज मामला सामने आया है...जहां एक परिवार ने अपनी बेटी और उसके प्रेमी की बेरहमी से हत्या कर दी... वारदात को अंजाम देने के बाद लड़की के परिवार वालों ने दोनों के शवों को घर में बंद कर भाग गए... इस प्रेमी जोड़े की बस इतनी सी ख़ता थी कि दोनों अलग-अलग जातियों से ताल्लुक रखते थे... और परिवार वालों ने इन्हें इतनी बेहरहमी से मारा की दोनों के शरीर के कई हिस्सों में चोट और बिजली के करंट के भी निशान मिले...
इसके अलावा पिछले दिनों हरियाणा के जिंद से भी ऐसा ही एक मामला सामने आया... जहां एक ही गोत्र का होना प्यार का दुश्मन बना... जी हां... 3 साल पहले एक प्रेमी युगल ने घरवालों के खिलाफ शादी की थी...एक ही गोत्न का होने की वजह से खाप पंचायत ने इस विवाह का विरोध किया... तालिबानी फरमान सुनाते हुए लड़के के परिवार को गांव से बहिष्कार कर उसका हुक़्का पानी बंद कर दिया गया....इसके बाद दोनों करनाल में जा बसे 15 जून 2007 को इनकी हत्या कर दी गई... सीरियल ऑनर किलिंग का क़हर यहीं नही थामा... कहते है ना इश्क़ और जंग में सब जाएज़ है... हाल में ही मुज़फ्फरनगर में घटे ऑनर किलिंग मामले में एक नया ट्विस्ट सामने तब आया जब मृतक प्रेमी जोड़े पहुंचे थाने...जी हां कल तक जहां प्रेम सम्बन्ध के चलते अजीत और अंशु की हत्या की बात सामने आ रही थी वहीं अचानक ये प्रेमी जोड़ा जिन्दा नज़र आया... और थाने पहुँच गया...गौरतलब है कि पुलिस ने इस प्रेमी युगल की लाश भी बरामद की... और लड़की के भाई अनुज ने कबूला भी कि उसने ही अपनी बहन के प्रेमी की हत्या की थी... इसी दौरान ऑनर किलिंग का एक और सनसनी ख़ेज मामला सामने आया... जहां बेटी के प्रेम विवाह से नाराज़ पिता ने उसे छत से धक्का दे दिया... ये बेटी भी उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा पद पर काम कर रहे पिता की थी... इसी तरह का दूसरा मामला कौशांबी में देखने को मिला जहां एक पिता ने अपनी ही बेटी का मंदिर में क़त्ल कर दिया है... इलाहबाद. में तो ऑनर किलिंग के हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं... जहां पड़ोसी से प्रेम संबंध के चलते एक भाई ने अपनी ही बहन की हत्या कर दी... और लड़की का शव पेड़ से लटका मिला...जानकारी के मुताबिक लड़की गर्भवती थी...ये बात जब भाई को पता चली तो उसने बड़ी ही बेरहमी से बहन को मार दिया... और ह्त्या को आत्महत्या बनाने के लिए लाश को पेड़ से लटका दिया...
इश्क़ हाज़िर मोहब्बत की सज़ा पाने के कोई पत्थर से ना मारे मेरे दिवाने को.... लेकिन यहां पत्थरों से ही मौत मिली है....और ये ख़बर आई है हैदराबाद से.... जीहां साउथ का भी वही हाल है... ऑनर किलिंग के मामले थमते नजर नहीं आ रहे हैं....ऐसे ही एक ताजा मामले में निजामाबाद में एक प्रेमी जोड़ी को लोगों ने यातना दे कर मौत के घाट उतार दिया... इश जोड़े की सिर्फ़ इतनी सी ग़लती थी कि अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले लड़के ने एक ऊंची जाति की लड़की, से भाग कर शादी कर ली थी...
यहां तक की ऑनर किलिंग मामले से देश के चौथा स्तभ के लिए काम करने वाले मिडिया परस्नेलिटी भी अछूते नहीं है...निरूपमा पाठक हत्याकांड का ख़ुलासा होने के बाद मीडिया के तो होश ही उड़ गए...जी हां देश का एक ऐसा तबक़ जिसे हम मिरर ऑफ़ सोसाईटी के कहते है... उसके लोगदों के भी नहगी बख़्शा गया.... और तो और मामला ऐसा पेचीदा बना की हत्या और आत्महत्या के बीच अब तक पिस रहा है... फ़िलहाल निरूपमा की मौत भी जातीवाद की ही वजह से ही हुई है....दरअसल ब्राह्मण की बेटी कायस्थ का बेटा था.. और मौत की वजह उसका प्रेम संबंध बताई जा रही है... और शर्म की बात ये है की मौत के बाद भी निरूपमा की इज़्ज़त सरे बाज़ार आज तक उछाली जा रही है...
ऑनर किलिंग’ की कुप्रथा का चलन सिर्फ हरियाणा और पश्चिम उत्तरप्रदेश में ही नहीं, बल्कि दुनिया के दर्जन भर से अधिक देशों में है... संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल ऑनर किलिंग के तहत 5,000 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाता है....
संयुक्तराष्ट्र ने दुनिया के उन देशों को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है जहां यह कुप्रथा चल रही है... इसके मुताबिक ऑनर किलिंग की कुप्रथा भारत के अलावा पाकिस्तान, तुर्की, जॉर्डन, सीरिया, मिस्र, लेबनान, ईरान, यमन, मोरक्को के अलावा कई खाड़ी देशों में हैं... इसके अलावा जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन में भी उन परिवारों के बीच ये कुप्रथा चल रही है जो बाहर से आकर यहां बसे हैं....

Monday, June 7, 2010

भोपाल का दर्द... अधूरा इंसाफ़...

नवाबी शान-व-शौक़त को अपने अंदर समाए शहर-ए-भोपाल की वो दर्द भरी काली रात जिसकी आज तक सुबह हुई... मौत से बेख़बर... बेख़ौफ़ होकर 2 दिसंबर की उस रात को जब लोग सुकून से अपने-अपने घरों में सो रहे थे... तब मौत घुटन की शक़्ल में उन की नींदों पर हमेशा के लिए क़ाबिज़ हो गई... लेकिन जो लोग मौत और ज़िन्दगी के बीच की जंग लड़के जीत गए... वो आज तक उस घुटन भरी काली रात को याद करके थर्रा जाते है... भोपाल गैस त्रादसी का जख़्म इतनी आसानी से नही भुलाया जा सकता है... उस वक्त इस हादसे से जो रू-ब-रू हुए उनके दर्द की दास्तान सुन कर हम जैसे भी कांप जाते है जिनका उस वक़्त अस्तित्व ही नहीं था... लेकिन कहते हैं ना इंसाफ़ का एक दिन ज़रूर आता हैं... और शायद भोपाल गैस पीड़ितों के लिए वो दिन आ ही गया...
भोपाल गैस त्रासदी के मामले पर 23 साल तक चली सुनवाई के बाद चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मोहन पी तिवारी ने 8 आरोपियों को दोषी करार दे दिया है... कोर्ट ने इन आरोपियों को धारा 304-ए के तहत लापरवाही का दोषी पाया है... सीबीआई ने इस गैस कांड मामले में यूनियन कार्बाइड कॉपरेरेशन के तत्कालीन चेयरमैन वारेन एंडरसन समेत 12 को आरोपी बनाया है...
23 साल चली सुनवाई आख़िरकार 13 मई 2010 को पूरी हो गई...
मौत का ख़ौफ़नाक मंजर झेल चुके फरियादियों ने इंसाफ के लिए 25 साल इंतजार में गुज़ार दिए... इनके जख्म पर वक़्त की परत चढ़ चुकी है, लेकिन नासूर बना ज़ख़्म आज भी जिंदा हैं... लेकिन भोपाल की जनता के साथ एक बार फिर नाइंसाफ़ि हुई है... और दोषियों को 25 हज़ार के मुचलके पर उन्हें ज़मानत पर छोड़ दिया गया...
इस त्रासदी में 35 हज़ार से ज़्यादा लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी...ये दिन इतिहास के पन्नों पर अपनी स्याह छाप छोड़ चुका है... जिससे कोई चाह कर भी उभर नहीं सकता... दुनिया की सबसे बड़ी हैवानियत वाली कहानी 1984 की कहानी... जहां भागते-भागते लोग लाशों में तब्‍दील हो गए...लाशें ही लाशें पर दफनाने वाला कोई नहीं... 1984 में शहर में गैस के रिसाव से मचे मौत के तांडव से धीरे-धीरे लोग उभर रहे हैं लेकिन आज भी फैक्टरी में  मौत का सामान बाकी है... 19 जुलाई 1998 को कार्बाइड प्रबंधन भोपाल पास 67 एकड़ में फैक्टरी में फैले हुए 18 हजार मैट्रिक टन टाकसिक सिल्ट और केमिकल छोड़कर चला गया...

Tuesday, June 1, 2010

दोषियों की सज़ा बरक़रार


गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर पर आतंकी हमले के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है... ग़ौरतलब है कि 2006 में इस मामले के आरोपियों को विशेष पोटा जज सोनिया गोकाणी की अदालत ने 3 को फांसी, 1 को उम्रकैद, 1 को 10 साल की सजा और 1 को 5 साल की सजा सुनाई थी... स्वामीनारायण संप्रदाय के गांधीनगर अक्षरधाम मंदिर को सितंबर 2002 में दो आतंकी हमले के दौरान 33 लोग मारे गए थे जबकि 76 लोग ज़ख़्मी हुए थे... बाद में इस मामले में 6 लोगों को पकड़ा गया जिनके ऊपर पोटा के तहत मुक़दमा चला और फिर पोटा कोर्ट ने सभी को सज़ा सुनाई... इसके बाद इन सभी ने हाईकोर्ट में सज़ा के ख़िलाफ़ अपील की थी... जिसे आज कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया... हमले की साजिश रचने में शामिल 24 लोग अब भी फ़रार हैं... बाद में इस मामले में दो और लोगों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ़्तार किया जो जेल में हैं और जिनका मामला लोअर कोर्ट में चल रहा है…


24 सितबंर 2002 दिन मंगलवार स्वामी नारायण मंदिर में तकरीबन शाम पांच बजे कुछ बंदूकधारियों ने मंदिर में घुस और अंधाधुंद गोलियां चलानी शुरु कर दी... इस हमले में 33 लोग मारे गए...घंटों तक चली इस मुठभेड़ में एनएसजी और गुजरात पुलिस का एक कमांडो भी मारा गया... जबकि कुछ कमांडो भी घायल हुए थे...

आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए... घटना के बाद पुलिस ने उस कार के मालिक और ड्राइवर को गिरफ्तार किया जिसमें बैठकर हमलावर स्वामीनारायण मंदिर तक पहुंचे थे... अधिकारियों के मुताबिक ये हमला जैश-ए-मोहम्मद के इशारे पर किया गया...

Thursday, May 27, 2010

माया के शाही अंदाज़

माया की माया साल दर साल बढ़ती जा रही है... ख़ुद को दलित की बेटी कहने वाली बसपा नेता की संपत्ति में 3 साल के अंदर 35 करोड़ रुपए का इज़ाफ़ा हुआ है... इसका ख़ुलासा मायावती ने विधान परिषद चुनाव के लिए नामांकन के दौरान सौंपे गए शपथ-पत्र में किया... माया के पास है 88 करोड़ रुपए की संपत्ति... और तो और हैरान करने वाली बात ये है कि बेशुमार दौलत की मालकिन के पास पहले से न कोई वाहन था और न ही खेती की ज़मीन... मायावती के पास उनके पुश्तैनी गांव बादलपुर में न कोई मकान है, न कोई बंगला और न एक इंच ज़मीन है...पहली बार 1995 मुख्यमंत्री बनने के बाद से वो कभी भी वहां नहीं गई है...लेकिन माया ने 2007 में MLC के उपचुनाव में नामांकन के साथ भरे गए शपथ-पत्र में 52 करोड़ रुपए की संपत्ति होने की जानकारी दी... शपथ-पत्र में मायावती ने कहा है कि उनके पास 75.47 करोड़ रुपए की व्यावसायिक और आवासीय संपत्ति है... बकौल माया दिल्ली के महंगे नेहरू रोड इलाके में 54 करोड़ रुपए की मंहगी ज़मीन है...बहरहाल पैसा कब कहा से और कैसे आया और उससे माया के शौक कैसे बदले ये सोचने वाली बात है...माया ज़ेवरों की भी हैं ख़ास शौकीन है... उनके पास एक किलो सोना और हीरे जवाहरात जड़ित गहने हैं, जिनकी क़ीमत 88 लाख रुपए है... माया को ‘शहंशाहों’ जैसा शौक़ हैं... उनके पास 4 लाख का एक चांदी का डिनर सेट है...जिसका वजन 18 किलो है... इसके अलावा पेंटिंग और म्युरल्स भी हैं...जिसकी क़ीमत 15 लाख है... बैंकों और विभिन्न वित्तीय संस्थाओं में उन्होंने 11.39 करोड़ रुपए जमाकर रखा है...अब सवाल ये है की बादलपुर की विशाल कोठी किसकी है... माया ने ख़ुद अपनी आधा दर्जन से ज़्यादा प्रतिमाएं लगवाई हैं अब उनके एक समर्थक ने महोबा जिले में ‘मायावती का मन्दिर’ बनवाने की अनुमति मांगी है... ख़ास बात है कि मन्दिर में मायावती की प्रतिमा पर फूलों की जगह नोट चढ़ाए जाएगें... बसपा प्रमुख को पिछले 15 मार्च को हुई रैली में हज़ार-हज़ार रूपए के नोटों की 16 फ़ुट लंबी माला पहनाई गई थी... इस माला में 21 लाख के नोट थे...

Monday, May 17, 2010

बेतुके…… के बेतुके फ़तवे

इन बेतुके फ़तवों पर हंसी भी आती है और अफ़सोस भी होता है कि क्या हो गया है, इन उलेमाओं को... जो अपनी क़ाबलियत का दम्भ भरते हैं... और शरीयत की बिसात पर फ़तवों की चाल चल क़ौम को बरग़ला रहे हैं... लेकिन वो भूल गए है कि आज हर इंसान अपने हक़ के बारे में पूरी जानकारी रखना चाहता है... और जो नहीं भी रखता तो रही सही कसर मीडिया पूरी कर देता है...फ़तवे देने से पहले इन उलेमाओं को शरीअत के साथ पैग़म्बर मोहम्मद (स.अ) की ज़िन्दगी पर भी ग़ौरफ़रमा लेना चाहिए... लेकिन कोई बात नहीं जिन चीज़ों पर ये आलिम ध्यान न दें उन चीज़ों पर हम जैसे लोगों का ध्यान अक्सर चला जाता हैं...तो इन उलेमाओं को ध्यान दिला दिया जाए की पैग़म्बर मोहम्मद की पहली पत्नी ख़तीज़ा भी तिजारत करती थीं (बिजनेस) वो अपने ज़माने की बहुत बड़ी बिजनेस वुमेन थी... अब सवाल ये खड़ा होता है.. की मुस्लिम औरते नौकरियां ही कितनी करती हैं... जो उनपर फ़तवे और धिक्कार का फ़रमान लागू किया जाए... जो करती भी हैं उनको फ़तवों की बेड़िया पहना कर चार दिवारी में क़ैद करने की कोशिश की जा रही है...मुस्लिम समाज वैसे भी पिछड़ा हुआ हैं...और जो महिलाए आगे बढ़ना भी चाहती है तो उनको पीछे खींचा जा रहा है...और सबसे बड़ा सवाल ये है... की जब इस्लाम ने जब औरतों पर इस तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाई है... तो ये उलेमा कौन होते है इन पर अपनी राय क़ायम करने वाले...ग़ौरतलब है कि नौकरियों में मुसलमानों की मौजूदगी पहले ही बेहद कम है… नौकरी में उनका हिस्सा 5 फ़ीसदी से भी कम… मुस्लिम औरतों के लिए नौकरी के मौक़े भी बहुत कम हैं...
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के मुस्लमनों के लिए कई नेताओं ने आरक्षण की आवाज़ बुलंद की... ऐसे में दारुल उलूम देवबंद के फ़तवे जारी हो रहे हैं... क़ौम की तरक्की से जुड़े इस मसले पर मुस्लिमों के सियासी और मज़हबी नेता भी दायरों से बंधे हैं... देवबंद के ताज़ा फ़तवे ने सीधा सवाल यह खड़ा कर दिया है... कि मौक़ा मिलने पर औरतें नौकरी करें या नहीं... वो मज़हब की रवायतों को तरजीह दें या अपनी तालीम और तरक्क़ी को...
मुस्लिम समुदाय में सिर्फ 25.2 फ़ीसदी औरतें ही कामकाजी हैं... नौकरियों में मुस्लमान की भागीदारी कुछ इस तरह है..... आईएएस 03 फीसदी... आईएफएस 1.8 फीसदी... आईपीएस 04 फीसदी... रेलवे 4.5 फीसदी... अदालतें 7.8 फीसदी... पुलिस 06 फीसदी... स्वास्थ्य 4.4 फीसदी... शिक्षा 6.5 फीसदी.... 14 साल की उम्र के 25 फीसदी मुस्लिम बच्चे स्कूलों से महरूम हैं... ज़ाहिर है की बेहतर नौकरियां दूर की बात हैं... इस सूरते-हाल में ऐसे फ़तवों की क्या अहमियत है...नौकरियों में मुस्लिमों की बेहद कम तादाद का अफ़सोस मज़हबी नेताओं को है... लेकिन औरतों के सवाल पर पुरानी रवायतें उन पर हावी हैं...मुस्लिम महिलाओं के लिए शरीयत के हिसाब से सरकारी या प्राइवेट क्षेत्र में काम करना ग़ैरक़ानूनी है...और किसी परिवार के लिए महिला की कमाई मंज़ूर करना भी हराम है... ये फ़तवा जारी किया गया है...और ऐसे कितने फ़तवे जारी किए जा चुके है... लेकिन क्या कभी इन बेतुके फ़तवों को कोई अमल में लाया... नहीं... लेकिन फ़िर भी ये उलेमा फ़तवे बाज़ी से बाज़ नहीं आ रहे हैं...

Friday, May 14, 2010

बड़े बे-आबरू होके........

ये तो होना ही था... जी हां हम बात कर रहे हैं अपने चैतन्यों की... जो टीम इंडिया की इज़्ज़त सरे बाज़ार लुटा कर आए हैं... और इसका खामियाज़ा महेंद्र सिंह धोनी को भुगतना पड़ सकता है... अब जल्द ही धोनी से भारतीय वनडे और टी-20 टीम की कप्तानी छिनी जा सकती है... धोनी से नाराज़ BCCI  टी-20 और वनडे में कप्तानी की लगाम सहवाग के हाथ में दे सकती है...
2004 में भारतीय टीम में शामिल होने वाले महेंद्र सिंह धोनी 6 साल से भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी अहम भूमीका निभा रहे हैं... कैप्टन कूल के ख़िताब से नवाज़े गए धोनी ने 2007 में भारत को टी-20 वर्ल्ड कप का ख़िताब दिलाया... लेकिन वक्त के शिकंजे ने धोनी को सवालों के घेरे में जकड़ लिया है... ऐसे में धोनी की कप्तानी पर सवाल उठना लाज़मी है... टी-20 वर्ल्ड कप में ख़राब प्रदर्शन के बाद BCCI  के पास धोनी को कप्तानी से हटाने की ठोस वजह भी है... टीम इंडिया की हार का पोस्टमार्टम शुरू हो गया है... टी-20 वर्ल्डकप में भारतीय टीम एक भी सुपर 8 मुकाबला नहीं जीत पाई है...
टीम के कोच गैरी कर्स्टन का कहना है कि हार की वजह खिलाड़ियों का ग़लत चयन है... टीम में 3 खिलाड़ी ऐसे थे जो टी-20 समेंत किसी भी फॉरमेट के लिए फिट नहीं थे...
वहीं टी-20 से बाहर होने की वजह से प्रशंसकों के निशाने पर आई भारतीय टीम के फ़ेवर ख़ुद भगवान यनी सचिन तेंदुलकर उतर आए... सचिन ने मीडिया से टीम का बचाव करते हुए कहा कि टीम ने पूरी कोशिश की लेकिन ऐसा हो जाता है... कि कोशिशों के बावजूद हम जीत दर्ज नहीं कर पाते... बेशक IPL का ग्लैमर हमारे क्रिकेटरों के लिए नुकसान देह साबित हुआ... ये साफ़ नज़र आ रहा है... टी-20 वर्ल्डकप में टीम के प्रदर्शन में... IPL में लेट नाइट पार्टीज़ में खिलाड़ियों की मौजूदगी से परफारमेंस पर ख़ास असर पड़ा है...जबकि ऐसी पार्टियों में क्रिकेटरों की मौजूदगी ज़रूरी नहीं है... खिलाड़ी चाहे तो पार्टी अटेंड नहीं करे या नही...
टीम इंडिया की हार से दुखी प्रशंसक ने सेंट लूसिया में गेंदबाज आशीष नेहरा के साथ मारपीट करते हुए उनकी टी शर्ट फाड़ दी... और बाद में युवराज सिंह ने मामले पर लीपा-पोती करते हुए ट्विटर पर सफ़ाई दी कि नेहरा के साथ किसी भी तरह की मारपीट नहीं हुई...
टीम इंडिया 5 मैच में 2 मैच जीती और सुपर 8 के 3 मैच हार गई... शेर की तरह दहाड़ने वाली टीम इंडिया कैरिबियाई पिचों पर भीगी बिल्ली बन गई और इनकी हवा निकल गई... इसकी वजह बना धोनी का ओवर कॉन्फ़िडेंस, आईपीएल में फ़ॉरमेट चुनी गई टीम, युवराज, गौतम गंभीर, युसूफ पठान का मौक़े पर धोखा देना... हरभजन, ज़हीर और नेहरा का थर्ड क्लॉस प्रदर्शन, IPL की पार्टियों से हुई थकान...लेट नाइट पार्टियों की वजह से टीम को हार का मुंह देखना पड़ा...जहां क्रिकेटर साल में 9 महिने होने वाले मैचों के अलावा घंटों मैदान में पसीना बहाते... वहीं IPL की टीम 14 से 16 पार्टियों में शामिल होती है... सवाल ये है कि क्यों ये पार्टियां सालभर की मेहनत पर भारी पड़ी... क्रिकेटरों की नाइट पर्टियों में फैशन परेड, सेक्सी लेडी विथ डांस फ़्लोर पर खिलाड़ियों का थिरकना... जमकर शराब पीना और टल्ली होना, भारी भोजन सुबह तक मस्ती करने का नतीजा अगले दिन साफ़ नज़र आता है...जिसमें खिलाड़ियों का प्रैक्टिक्स से दूर भागना, और दूसरे शहर में खेलने के लिए थकन भरी जर्नी... वजन बढ़ना, फिटनेस घटना... तो बात वही घूम फिर कर आती है कि ये तो होना ही था....

Saturday, May 8, 2010

मां तुझे सलाम 'special mother day'

थकन आए ना जिसे... ना हो चेहरे पे शिक़न...
अपने बच्चों के लिए करती रही... लाखों जतन...

कोई भूखा था...कोई नंगा तो कोई बे-घर...
मौत के बाद भी... मयस्सर था ना कफ़न


बे-सहारों के लिए छोड़ दिया... जिसने अपना वतन...
भारत देश करता है... उस मां को नमन...


Happy mothers day
To all mom of the world


Marziya jafar
Asst .producer (news desk)
Lemon tv & C1/news
National news channel

गुनाह की सज़ा मौज

 ये है तिहाड़ में ऐशो आराम से ज़िन्दगी गुजारने वाले हाई प्रोफ़ाईल क़ैदी
मोहम्मद अफ़्ज़ल गुरू
संसद पर हमले का दोषी
18 दिसंबर 2002 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
सुप्रीम कोर्ट में रद्द होने के बाद
राष्ट्रपति के पास दया याचिका डाली
जवाब आना बाक़ी
देवेंद्र सिंह भुल्लर
ऑल इंडिया एंटी टेरेरिस्ट फ़्रंट के चैयरमैन मनिंदर जीत सिंह बिट्टा पर जान लेवा हमला करने का दोषी
25 अगस्त 2001 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
राष्ट्रपति के पास दया याचिका डाली
जवाब आना बाक़ी
अतबीर
हत्या के मामले में दोषी अतबीर को 10 सितंबर 2002 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
हाईकोर्ट ने 18 जनवरी 2006 को ये सज़ा बरक़रार रखी
सुप्रीम कोर्ट में अपील पर फ़ैसला आना बाक़ी
मोहम्मद हुसैन
मोहम्मद हुसैन उर्फ़ जुल्फ़िक़ार हत्या के मामले का दोषी
3 नवंबर 2004 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
जिसे हाईकोर्ट ने 4 अगस्त 2006 को बरक़रार रखा
सुप्रीम कोर्ट में अपील लंबित
सुशील शर्मा
कांग्रेस के नेता रहे सुशील शर्मा नैना सहानी हत्याकांड या तंदूरकांड में दोषी
7 नवंबर 2003 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर
फ़ैसला आना बाक़ी
मोहम्मद आरिफ़
मोहम्मद आरिफ़ उफ़्र आफ़ताब लाल क़िला गोलीकांड का दोषी
31 अक्टूबर 2005 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर
फ़ैसला आना बाक़ी
संतोष सिंह
प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड के दोषी
3 दिसंबर 1999 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर
फ़ैसला आना बाक़ी
राजेश कुमार
हत्या के मामले में दोषी
24 मार्च 2007 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर
फ़ैसला आना बाक़ी
मो. आमिर अजमल कसाब
मुंमई की विशेष अदालत ने दी सज़ा-ए-मौत
तहलयानी ने सुनाया फांसी का फ़रमान
सरकारी वकील उज्जवल निकम
86 मामलों का दोषी कसाब
देश में युद्ध छेड़ने की साजिश
ये फेहरिस्त है उन कैदियों की है जिसे सज़ा-ए-मौत का फरमान सुनाया गया है लेकिन अभी तक इन्हे सज़ा दी नहीं गई है...बल्कि इस लिस्ट में 26/11 के दोषी कसाब का भी नाम जुड़ गया हैं...इन सज़ा यफ़्ता कैदियों का ठाटबाट किसी राजा महाराजा से कम नही है....इन कैदियों का डे शेड्यूल कुछ इस तरह से तैयार किया गया हैं जैसे किसी सेलीब्रेटी का हो...जिसमें ब्रेकफ़ास्ट, लन्च, ब्रंच और डिनर शामिल है....खाने पीने के अलावा इन कैदियों की फिटनेस का भी भरपूर ख्याल रखा जाता है...इन कैदियों की सेहत को सही रखने के लिए इन्हे कई तरह की एक्सर्साईज़ भी कराई जाती है... जिसमें योगा, मॉर्निंग वॉक, और इवनिंग वॉक जैसी फ़िटनेस एक्टिविटी भी शामिल हैं...और तो और आपको ये जान कर हैरत हो सकती है कि इन कैदियों की फ़रमाईशे भी ख़ूब होती है...किसी को चिकन बिरयानी चाहिए तो किसी को तंदूरी चिकन, किसी को देश दुनिया की ख़बर जानने के लिए हिन्दी अंग्रेज़ी और उर्दू के न्यूज़ पेपर की भी ज़रूरत पड़ती है, जो जेल मैनेजमेंट बड़े शौक़ से पूरा करता है, तो ऐसी सज़ा से क्या फ़ाएदा....देश में लोग ग़रीबी भुखमरी महामारी से पल पल जुझ रहे है...देश में ऐसे भी लोग है जिसने अपने जन्म के वक्त से ही सर पर छत नही देखी...दिन भर मेहनत मशक्कत करने के बाद रात को थक कर खुले आसमान के निचे सो जाते है...लेकिन हमारी सरकार इन ग़रिबों की परेशानी को नज़र अंदाज़ कर कैदियों की खातिरदारी में लगी है... तभी तो अफ़्ज़ल गुरू, अजमल कसाब, देवेंद्र सिंह, अतबीर, मोहम्मद हुसैन, सुशील शर्मा, मोहम्मद आरिफ़, संतोष सिंह, राजेश कुमार जैसे लोग सरकारी पैसों पर ऐश काट रहे है...और राजनैतिक पार्टियां एलेक्शन के वक्त इन कैदियों की सज़ा के मुद्दे को भुनाने में लगी रहती है...की कम से कम इसी बहाने वोट बैक तो सुरक्षित रहेगा...

हमारे देश में सज़ा-ए-मौत की लिस्ट में 308 मामले विचाराधीन हैं...लेकिन अब तक ये फ़ासी के तख़्ते तक नही पहुंचे...गौरतलब है कि सज़ा याफ़्ता कादियों की लिस्ट तो बहुत लम्बी है लेकिन पूरे देश में अब कोई भी जल्लाद नही बचा है जो इन्हे फांसी पर लटका सके...धन्नजय चटर्जी को फांसी देने वाला देश का आखिरी जल्लाद नाटा मलिक था...लेकिन कुछ महिने पहले उसकी भी मौत हो गई... ऐसे में सज़ा-ए-मौत के कैदियों की मौज क्यों ना हो.....

Monday, May 3, 2010

कसाब का हिसाब......ताज़ीराते हिन्द दफ़ा..... के तहत 26/11 के आरोपी कसाब को.....

पूरा देश गुनाहगार कसाब को मिली सज़ा सुनना चाहता है... इस फैसले का लोगों को बेसब्री से इंतजार है... 26/11/08 मुंबई हमले का आरोपी कसाब पर फैसला आ गया है...मोहम्मद अजमल कसाब को पूरे 86 मामलों में दोषी पाया गया है जिसमें भारत में युद्ध छेड़ने का भी आरोप है लेकिन उसकी सज़ा अभी मुकर्रर नही हुई है... क्या आपको लगता है कि कसाब के जुर्म के लिए भारतीय क़ानून में कोई ऐसी सज़ा है जो क़साब को दी जा सके... लगातार तीन दिन होटल ताज, नरीमन हाउस में कोहराम मचाने वाला और ना जाने कितने बेगुनाहों को मारने वाला ये आतंकी न तो सज़ा-ए-मौत के क़ाबिल है और ना ही उम्र कैद के...हमारे देश में संगीन जुर्म करने वालों को यही सज़ा दी है...लेकिन कसाब तो ख़ुद एक फ़िदाईन था और मरने का डर उसे उस वक्त भी नही था और शायद आज भी... कसाब के लिए फांसी या उम्र कैद बहुत मामूली सी सज़ा है... हमारे देश में पुलिस की थर्ड डिग्री भी विदेशों की सॉफ़्ट डिग्री में आती है... तो कैसे कसाब को इतनी मामूली सज़ा दी जा सकती है...
भारत हमेशा से भावनाओं में घिरा रहता है...इसीलिए एक बार किसी दोषी को सज़ा देने में हाथ तो कांपना लाज़मी है लेकिन कसाब जैसे आतंकी के बारे में ऐसा सोचना भी गुनाह है... और यहीं पर आकर देश के क़ानून पर सवाल खड़ा हो जाता है... जिससे कभी-कभी शर्मिदा भी होना पड़ता है... जहां सिर्फ़ तारिख, और सुनवाई पर ही इतना वक्त गुज़र जाता है कि इंसान तो मर जाता है लेकिन वो फाईलों में ज़िन्दा रहता है... तो कुछ ऐसा ही आतंकियों के साथ भी हो रहा है...बहरहाल...  कसाब को अगर फ़ासी की सज़ा सुनाई गई तो चंद मिनटों में उसकी सारी परेशानिया खत्म हो जाएंगी... और अगर उम्र कैद की सज़ा दी गई तो उसको सरकार राजशाही ठाट से नवाज़ेगी... उसकी सुरक्षा, सेहत और ख्वाहिशों का भरपूर ख़्याल रखा जाएगा... ये कोई मज़ाक में कही गई बाते नहीं है...क्योंकि एक आतंकी है जिसे फ़ांसी की सज़ा मिलने के बावजूद उसे अमल में नहीं लाया जा रहा है...जी हां हम अफ़ज़ल गुरू की बात कर रहे है जिसने 13/12/01 में संविधान के मंदिर पर हमाल कर देश की सुरक्षा व्यवस्था को चोट पहुंचाई... देश में उस वक्त एनडीए सरकार थी...और विपक्ष में यूपीए...इस मामले पर दोनों पक्ष एक दूसरे की सिर्फ़ टांग खिचते नज़र आते है...लेकिन गुरू को आज तक सज़ा नही दी गई...हांलाकि ऐसे मुद्दों पर वोट बैंक की राजनीति ख़ूब रंग लाई और एनडीए का तख़्ता पलट केंद्र में यूपीए सरकार का कब्ज़ा हो गया....लेकिन अजमल को कोई फांसी के तख़्ते तक नही पहुंचा सका... कसाब के फैसले पर भी यही डर है की कहीं इसे भी अफ़ज़ल गुरू की तरह सज़ा ना सुना दी जाए...और फिर इसके आका इसे छुड़ाने के लिए कभी किसी को बंदी बनाकर अपने साथी को वापस करने की मांग करें... या फिर अफ़ज़ल की मांग पर कांधार प्लेन हाईजेक जैसी घटनाओं को अंजाम दे... और इसका खामियाज़ा बेचारी जनता को भुगतना पड़ेगा...और शायद कसाब की फ़िल्म का ट्रेलर उसकी सुनवाई से ठिक दो दिन पहले हम  देख चुके हैं... अमेरिका के हवाले से ये ख़बर मिली की दिल्ली आतंकीयों के निशाने पर हैं... ख़बर सुनते ही पूरी दिल्ली को छावनी में तब्दीवल कर दिया गया...ये अफ़वाह शायद ध्यान भटकाने के लिए फैलाई गई हो...लेकिन एक ही बात अक्सर देश वासियों को कचोटती रहती है की आखिर कब तक ऐसे ही तिल-तिल मरना पड़ेगा...सवाल ये है कि क्या हमारे देश का क़ानून इतना लाचार है... कि देश द्रोहियों को सज़ा देने में वक्त ज़ाया करने के बावजूद भी कोई सख्त सज़ा नही सुना सकता...अगर नहीं तो ऐसे फैसले जनता के हाथ में दे देने चाहिए...