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Wednesday, April 21, 2010

कबके बिछड़े हुए हम आज कहां आके मिले

 जब आप किसी को पूरी शिद्दत से चाहते है, तो पूरी क़ायनात उसे आपसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है... चाहे वो उम्र के आखिरी पड़ाव पर ही क्यों ना आकर मिलें... ओम शांति ओम फ़िल्म का ये डॉएलॉग लखनऊ के मलियाबाद में रहने वाले 84 साल के एक बुज़ुर्ग़ चुराई पर सटीक बैठता है... जी हां... लम्बे अरसे के बाद उनकी बिछड़ी मोहब्बत मिल गई... इनका प्यार एक बार फिर परवान चढ़ा... और ये दोनों शादी के पवित्र बंधन में बंध गए... ये अजब प्रेम की गजब कहानी जगजीत सिंह की गज़ल की याद दिलाती है...”ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन, जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन” वाक़ई में ऐसा लगता है कि शायर ने इस गीत की कल्पना इसी जोड़े की मोहब्बत पर की हो... 58 सालों की जुदाई ने चुराई की उल्फ़त को और भी ज़्यादा गहरा कर दिया है... लम्बे वक़्त के बाद चुराई से फ़ूलमती मिलीं... दोनों की मोहब्बत एक बार फिर परवान चढ़ी... ये दोनों इस उम्र में शादी के पवित्र रिश्ते में बंध गए... कहते है जहां चाह वहां राह... दरअसल 1952 में चुराई और फ़ूलमती की मोहब्बत परवान चढ़ी... उस वक़्त 27 साल के चुराई किराने की दुकान पर काम करते थे... फ़ूलमती सामान लेने अक्सर उसकी दुकान पर जाती उस वक्त फूलमती महज़ 17 साल की थी... रोज़ की बाते मुलाक़ते प्यार में तब्दील हो गईं... उस वक्त शुरू हुई मासूम मोहब्बत दुनिया को रास ना आई... अलग जाति से ताल्लुक़ रखने की वजह से फूलमती और चुराई एक दूसरे के हो ना सके और शादी के अरमान दिल में ही दफ़्न होकर रह गए... फूलमती के घर वालों ने उसकी शादी कहीं और कर दी...लेकिन चुराई के दिल में कभी कभी ये हुंक उठती रही की “जग ने छीना मुझसे मुझे जो भी लगा प्यारा, सब जीता किए मुझसे मै हर वक़्त ही हारा” वक़्त की क़लम ने चुराई की ज़िन्दगी में फूलमती का साथ उम्र के आखिरी दौर में जाकर लिखा था... मोहब्बत की ये कसक उम्र के साथ और गहरी होती गई... चुराई को उपर वाले और अपनी मोहब्बत पर पूरा यक़ीन था... चुराई ने अपनी अबतक की ज़िन्दगी महबूबा फ़ूलमती के इंतज़ार में कुंवारा रहते हुए गुज़र दी... लेकिन सब्र का फल मीठा होता है... चुराई को फूलमती से मिलना ही था... और वो भी उम्र के 84वें पड़ाव पर...
चुराई की मोहब्बत का क्लाईमेक्स कुछ इस तरह हुआ... इनके मोहब्बतनामे के आख़री वर्क़ पर मोहब्बत की जीत होना तय लिखा था... 84 साल की उम्र में ही सही... लेकिन दोनों ने पूरे रीति रिवाजों के साथ बड़ी धूमधाम से शादी रचाई...ये शादी हर प्यार करने वाले बिछड़े प्रेमियों के लिए एक मिसाल और उम्मीद क़ायम करती है... की ख़ुदा के घर देर है अंधेर नही... बहरहाल आज इनके पास रहने के लिए छत नहीं है... लेकिन इस जोड़े पर बरसों से प्यार का साया बरक़रार है... जिसके साए में उम्र के आख़िरी मुक़ाम पर ये ख़ुशहाल ज़िन्दगी जी सकते है...
चुराई और फ़ूलमती की पाक़िज़ा मोहब्बत ने सबको अपना क़ायल बना दिया है... इस जोड़े ने ये साबित कर दिया है कि ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन...

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