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Monday, May 3, 2010

कसाब का हिसाब......ताज़ीराते हिन्द दफ़ा..... के तहत 26/11 के आरोपी कसाब को.....

पूरा देश गुनाहगार कसाब को मिली सज़ा सुनना चाहता है... इस फैसले का लोगों को बेसब्री से इंतजार है... 26/11/08 मुंबई हमले का आरोपी कसाब पर फैसला आ गया है...मोहम्मद अजमल कसाब को पूरे 86 मामलों में दोषी पाया गया है जिसमें भारत में युद्ध छेड़ने का भी आरोप है लेकिन उसकी सज़ा अभी मुकर्रर नही हुई है... क्या आपको लगता है कि कसाब के जुर्म के लिए भारतीय क़ानून में कोई ऐसी सज़ा है जो क़साब को दी जा सके... लगातार तीन दिन होटल ताज, नरीमन हाउस में कोहराम मचाने वाला और ना जाने कितने बेगुनाहों को मारने वाला ये आतंकी न तो सज़ा-ए-मौत के क़ाबिल है और ना ही उम्र कैद के...हमारे देश में संगीन जुर्म करने वालों को यही सज़ा दी है...लेकिन कसाब तो ख़ुद एक फ़िदाईन था और मरने का डर उसे उस वक्त भी नही था और शायद आज भी... कसाब के लिए फांसी या उम्र कैद बहुत मामूली सी सज़ा है... हमारे देश में पुलिस की थर्ड डिग्री भी विदेशों की सॉफ़्ट डिग्री में आती है... तो कैसे कसाब को इतनी मामूली सज़ा दी जा सकती है...
भारत हमेशा से भावनाओं में घिरा रहता है...इसीलिए एक बार किसी दोषी को सज़ा देने में हाथ तो कांपना लाज़मी है लेकिन कसाब जैसे आतंकी के बारे में ऐसा सोचना भी गुनाह है... और यहीं पर आकर देश के क़ानून पर सवाल खड़ा हो जाता है... जिससे कभी-कभी शर्मिदा भी होना पड़ता है... जहां सिर्फ़ तारिख, और सुनवाई पर ही इतना वक्त गुज़र जाता है कि इंसान तो मर जाता है लेकिन वो फाईलों में ज़िन्दा रहता है... तो कुछ ऐसा ही आतंकियों के साथ भी हो रहा है...बहरहाल...  कसाब को अगर फ़ासी की सज़ा सुनाई गई तो चंद मिनटों में उसकी सारी परेशानिया खत्म हो जाएंगी... और अगर उम्र कैद की सज़ा दी गई तो उसको सरकार राजशाही ठाट से नवाज़ेगी... उसकी सुरक्षा, सेहत और ख्वाहिशों का भरपूर ख़्याल रखा जाएगा... ये कोई मज़ाक में कही गई बाते नहीं है...क्योंकि एक आतंकी है जिसे फ़ांसी की सज़ा मिलने के बावजूद उसे अमल में नहीं लाया जा रहा है...जी हां हम अफ़ज़ल गुरू की बात कर रहे है जिसने 13/12/01 में संविधान के मंदिर पर हमाल कर देश की सुरक्षा व्यवस्था को चोट पहुंचाई... देश में उस वक्त एनडीए सरकार थी...और विपक्ष में यूपीए...इस मामले पर दोनों पक्ष एक दूसरे की सिर्फ़ टांग खिचते नज़र आते है...लेकिन गुरू को आज तक सज़ा नही दी गई...हांलाकि ऐसे मुद्दों पर वोट बैंक की राजनीति ख़ूब रंग लाई और एनडीए का तख़्ता पलट केंद्र में यूपीए सरकार का कब्ज़ा हो गया....लेकिन अजमल को कोई फांसी के तख़्ते तक नही पहुंचा सका... कसाब के फैसले पर भी यही डर है की कहीं इसे भी अफ़ज़ल गुरू की तरह सज़ा ना सुना दी जाए...और फिर इसके आका इसे छुड़ाने के लिए कभी किसी को बंदी बनाकर अपने साथी को वापस करने की मांग करें... या फिर अफ़ज़ल की मांग पर कांधार प्लेन हाईजेक जैसी घटनाओं को अंजाम दे... और इसका खामियाज़ा बेचारी जनता को भुगतना पड़ेगा...और शायद कसाब की फ़िल्म का ट्रेलर उसकी सुनवाई से ठिक दो दिन पहले हम  देख चुके हैं... अमेरिका के हवाले से ये ख़बर मिली की दिल्ली आतंकीयों के निशाने पर हैं... ख़बर सुनते ही पूरी दिल्ली को छावनी में तब्दीवल कर दिया गया...ये अफ़वाह शायद ध्यान भटकाने के लिए फैलाई गई हो...लेकिन एक ही बात अक्सर देश वासियों को कचोटती रहती है की आखिर कब तक ऐसे ही तिल-तिल मरना पड़ेगा...सवाल ये है कि क्या हमारे देश का क़ानून इतना लाचार है... कि देश द्रोहियों को सज़ा देने में वक्त ज़ाया करने के बावजूद भी कोई सख्त सज़ा नही सुना सकता...अगर नहीं तो ऐसे फैसले जनता के हाथ में दे देने चाहिए...

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