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Saturday, May 8, 2010

गुनाह की सज़ा मौज

 ये है तिहाड़ में ऐशो आराम से ज़िन्दगी गुजारने वाले हाई प्रोफ़ाईल क़ैदी
मोहम्मद अफ़्ज़ल गुरू
संसद पर हमले का दोषी
18 दिसंबर 2002 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
सुप्रीम कोर्ट में रद्द होने के बाद
राष्ट्रपति के पास दया याचिका डाली
जवाब आना बाक़ी
देवेंद्र सिंह भुल्लर
ऑल इंडिया एंटी टेरेरिस्ट फ़्रंट के चैयरमैन मनिंदर जीत सिंह बिट्टा पर जान लेवा हमला करने का दोषी
25 अगस्त 2001 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
राष्ट्रपति के पास दया याचिका डाली
जवाब आना बाक़ी
अतबीर
हत्या के मामले में दोषी अतबीर को 10 सितंबर 2002 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
हाईकोर्ट ने 18 जनवरी 2006 को ये सज़ा बरक़रार रखी
सुप्रीम कोर्ट में अपील पर फ़ैसला आना बाक़ी
मोहम्मद हुसैन
मोहम्मद हुसैन उर्फ़ जुल्फ़िक़ार हत्या के मामले का दोषी
3 नवंबर 2004 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
जिसे हाईकोर्ट ने 4 अगस्त 2006 को बरक़रार रखा
सुप्रीम कोर्ट में अपील लंबित
सुशील शर्मा
कांग्रेस के नेता रहे सुशील शर्मा नैना सहानी हत्याकांड या तंदूरकांड में दोषी
7 नवंबर 2003 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर
फ़ैसला आना बाक़ी
मोहम्मद आरिफ़
मोहम्मद आरिफ़ उफ़्र आफ़ताब लाल क़िला गोलीकांड का दोषी
31 अक्टूबर 2005 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर
फ़ैसला आना बाक़ी
संतोष सिंह
प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड के दोषी
3 दिसंबर 1999 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर
फ़ैसला आना बाक़ी
राजेश कुमार
हत्या के मामले में दोषी
24 मार्च 2007 को फांसी की सज़ा सुनाई गई
सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर
फ़ैसला आना बाक़ी
मो. आमिर अजमल कसाब
मुंमई की विशेष अदालत ने दी सज़ा-ए-मौत
तहलयानी ने सुनाया फांसी का फ़रमान
सरकारी वकील उज्जवल निकम
86 मामलों का दोषी कसाब
देश में युद्ध छेड़ने की साजिश
ये फेहरिस्त है उन कैदियों की है जिसे सज़ा-ए-मौत का फरमान सुनाया गया है लेकिन अभी तक इन्हे सज़ा दी नहीं गई है...बल्कि इस लिस्ट में 26/11 के दोषी कसाब का भी नाम जुड़ गया हैं...इन सज़ा यफ़्ता कैदियों का ठाटबाट किसी राजा महाराजा से कम नही है....इन कैदियों का डे शेड्यूल कुछ इस तरह से तैयार किया गया हैं जैसे किसी सेलीब्रेटी का हो...जिसमें ब्रेकफ़ास्ट, लन्च, ब्रंच और डिनर शामिल है....खाने पीने के अलावा इन कैदियों की फिटनेस का भी भरपूर ख्याल रखा जाता है...इन कैदियों की सेहत को सही रखने के लिए इन्हे कई तरह की एक्सर्साईज़ भी कराई जाती है... जिसमें योगा, मॉर्निंग वॉक, और इवनिंग वॉक जैसी फ़िटनेस एक्टिविटी भी शामिल हैं...और तो और आपको ये जान कर हैरत हो सकती है कि इन कैदियों की फ़रमाईशे भी ख़ूब होती है...किसी को चिकन बिरयानी चाहिए तो किसी को तंदूरी चिकन, किसी को देश दुनिया की ख़बर जानने के लिए हिन्दी अंग्रेज़ी और उर्दू के न्यूज़ पेपर की भी ज़रूरत पड़ती है, जो जेल मैनेजमेंट बड़े शौक़ से पूरा करता है, तो ऐसी सज़ा से क्या फ़ाएदा....देश में लोग ग़रीबी भुखमरी महामारी से पल पल जुझ रहे है...देश में ऐसे भी लोग है जिसने अपने जन्म के वक्त से ही सर पर छत नही देखी...दिन भर मेहनत मशक्कत करने के बाद रात को थक कर खुले आसमान के निचे सो जाते है...लेकिन हमारी सरकार इन ग़रिबों की परेशानी को नज़र अंदाज़ कर कैदियों की खातिरदारी में लगी है... तभी तो अफ़्ज़ल गुरू, अजमल कसाब, देवेंद्र सिंह, अतबीर, मोहम्मद हुसैन, सुशील शर्मा, मोहम्मद आरिफ़, संतोष सिंह, राजेश कुमार जैसे लोग सरकारी पैसों पर ऐश काट रहे है...और राजनैतिक पार्टियां एलेक्शन के वक्त इन कैदियों की सज़ा के मुद्दे को भुनाने में लगी रहती है...की कम से कम इसी बहाने वोट बैक तो सुरक्षित रहेगा...

हमारे देश में सज़ा-ए-मौत की लिस्ट में 308 मामले विचाराधीन हैं...लेकिन अब तक ये फ़ासी के तख़्ते तक नही पहुंचे...गौरतलब है कि सज़ा याफ़्ता कादियों की लिस्ट तो बहुत लम्बी है लेकिन पूरे देश में अब कोई भी जल्लाद नही बचा है जो इन्हे फांसी पर लटका सके...धन्नजय चटर्जी को फांसी देने वाला देश का आखिरी जल्लाद नाटा मलिक था...लेकिन कुछ महिने पहले उसकी भी मौत हो गई... ऐसे में सज़ा-ए-मौत के कैदियों की मौज क्यों ना हो.....

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