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Friday, March 25, 2011

राष्ट्रपिता हमें यही सिखावें

राष्ट्रपिता हमें यही सिखावें
मिलजुल कर सब जीवन बितावें
किंतु इंसा-इंसा का ख़ून बहावें
हर तरफ़ ख़ूनी मंज़र नज़र आवे


देश के प्रेमी देश मीटावें
रोज़ नए-नए भेष बनावें
तनिक नही इनको भय है
चारों दिशा में इनकी जय है


कभी जलावें नंदी ग्राम
कभी मचावें उड़ीसा में कोहराम
कभी गोधरा को भड़कावें
कभी करें भोली जनता पर वार

कभी चलावें गोला बारी
कभी चलाए बम से काम
इस देश का क्या होगा भगवान
जिसमें रहते है अनेक भोले इंसान
 

रोज उजाड़े मांग के सिंदूर
सूनी करें ये मां की गोद
रोज़ किसी को अनाथ बनावें
रोज़ करें ये अत्याचार

मां बहने और बेटी को
फेकें रोज़ वैहशी की ओर
शर्म लाज अब कैसे बचावें
कफ़न होतो तन को छुपावें

अतिथि देवों भवा का करके हनन
विदेशी महिलाओं को सताने का है चलन
भारत पर लगा शोषण नाम का कलंक
ऐसी घटनाओं का होता है हर रोज़ जनम

मौत के बाद भी चीर हरण
स्त्री जात का फूटा ऐसा करम
स्वम् पर झेले सारी विपदा
फिर भी नही है कोई शिकवा

विद्यार्थियों का है हाल बेहाल
विद्या की अर्थी सजावें सुबहो शाम
सहपाठी पर करके वार
जीवन में लाएं अंधकार

अश्लीलता है पाठशालाओं में
तकनीकी का है इसमें हाथ
यौन शिक्षा को बढ़ावा देने का
आज सामने है अंजाम

राम नाम पर मचा बवाल
उनके अस्तित्व पर उठने लगे सवाल
जबकि राष्ट्रपिता के अंतिम शब्द थे
हे राम... हे राम... हे राम

Thursday, March 24, 2011

न इधर उधर की तू बात कर...

                                                     वीकीलिक्स ख़ुलासे के बाद संसद में विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव पर चर्चा का वक्त किसी मुशायरे की महफ़िल की शक्ल में नज़र आया... एक तरफ़ विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर नोट फ़ॉर वोट के विकीलिक्स के ख़ुलासे पर शायराना अंदाज़ में सवालिया तीर छोड़कर समां बांध दिया...और प्रधानमंत्री से कहा की
“न इधर उधर की तू बात कर...बता कि क़ाफिला क्यों लुटा...
हमें रहजनों से गिला नहीं तेरी रहबरी का सवाल है”.... 
सुषमा का शायराना अंदाज़ में सवाल क्या दग़ना था कि हंगामें के बीच चलने वाले सत्र में चारों तरफ़ से वाहहह... वाहहह... वाहहह... के नारे बुलंद होने लगे...
और अब बारी थी सिंह की दहाड़ की... लेकिन हैरत तो तब हुई जब घोटालों का ताज पहने यूपीए सरकार और देश के साफ़ छवी वाले कहे जाने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी रोमानियत छा गई और एक शेर ने शायराना सवाल का जवाब शयराना अंदाज़ में देते हुए कहा कि
“माना की तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हुं मै...तू मेरा शौक़ तो देख मेरा इंतज़ार कर”...
कुल मिला कर देश में हुए घोटालों पर गंभीर चर्चा के दौरान पूरे सदन में रोमानियत छाई रही... या ये कहें की शायराना अंदाज़ में किए गए सवाल का जवाब शायराना अंदाज़ में देकर प्रधानमंत्री नें मुद्दे और मूड दोनों को गुमराह करने की कोशिश की... हांलाकि बाद में उन पहलुओं पर चर्चा हुई और पीएम ने सवालों के जवाब भी दिए... लेकिन जब शायराना आग़ाज़ से ही समां बंध गया तो... अंजाम भी शायराना रहा... ख़ैर पूरा देश भ्रष्टाचार के घिनौने दलदल में फंसा है... और संसद में मुशायरा चल रहा है... मौजूदा सरकार की छवि घोटालों के जिन बिगाड़ दी है.... सरकार की नाक में दम कर रहे साल के घोटालों की फेहरिस्त काफ़ी लम्बी है ही...

Thursday, March 17, 2011

हर सुबह एक नई मुसीबत...


हर सुबह एक नई मुसीबत... हर रात में छुपी एक ख़ामोशी... कहीं सन्नाटा, कही बिलखते हुए लोग... कहीं अपनों को तलाशती मायूस नज़रें... कहीं सब कुछ लुटा चुके लोगों की सिसकियां... ये उस सरज़मी की तबाही के बाद का मंज़र है... जहां कुछ दिनों पहले कुदरत अपना कहर बरपा चुकी है... जापान में मुसिबतों को दौर बरकरार है... कुदरत के जख्म के बाद तबाही का सिलसिला शुरू हो गया... जापान में आए ज़लज़ले ने लाखों लोगों से उनका बसेरा छीन लिया... सुनामी की ख़तरनाक लहरे ना जाने कितनी ज़िंदगियां निगल गई... और अब इस कोहराम के बाद रेडिएशन का खतरा... जो लोगों के उपर कैंसर बन कर टूट सकता है....
 ज़लज़ले और सुनामी से सहमे जापान के लोग एक बार फिर दहल उठे हैं... दरअसल रेडिएशन के रिसाव से जापान पर परमाणु त्रासदी के बादल मंडराने लगे हैं सुनामी की मार झेलने के बाद अब जापान पर कैंसर की सुनामी का खतरा मंडरा रहा है... रेडिएशन बालों से शरीर में दाखिल होकर त्वचा का कैंसर देता है और  कई तरह की बीमारियों को दावत देता है... जिससे मर्ज शरीर में घर कर लेते हैं... और इसकी चपेट में अबतक करीब 200 लोगों आ चुके हैं...रेडिएशन का असर पड़ोसी मुल्कों पर भी हो रहा है...आलम ये है कि भारतीयों के साथ-साथ जापानी भी देश से पलायन करने को मजबूर है... जापान के हालत देखकर लगता है कि हिरोशिमा और नागासाकी का 65 साल पुराना और खौफनाक इतिहास दोहराना तय है
फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट में  एक के बाद एक हो रहे धमाकों से जपान लरज़ उठा है... हवा में घुलता  ज़हर लाखों ज़िन्दगियां तबाह कर सकता है... अपना सब गवा चुके लोग खुले आसमान के नीचे गुज़र बसर करने को मजबूर है... लेकिन जापान से नराज़... कुदरत का सितम तो देखिए बर्फबारी ने इनकी मुसिबत और बड़ा दी... सर छुपाने के लिए अब ये कहां जाए... लेकिन जपान अभी भी हिम्मत नही हारा है....और इस दुख भरे पल से लागातार जुझ रहा है... ताकी इससे जल्द से जल्द निजात पाई जा सके... बच्चे, बुजुर्ग, जवान सभी आंखे तबाही के इस आलम में अपनों की ज़िंदगी तलाश रही है.... क्या पता...किसी आवाज़ से कुछ पलों में खोई ज़िंदगी...वापस ढेर सारी खुशियां लेकर लौटे...
रोज़ एक नई परेशानियों का सामना कर रहा जापान भारी मुश्किलों से जुझ रहा है... साढ़े आठ लाख घरों में बिजली नहीं है.....15 लाख घरों में पानी के लाले पड़ गये हैं....इसके बावजूद जापान की ज़िंदादिली अभी भी बरकरार है... और साथ ही पूरी दुनिया जापान के लिए कुदरत से रहम दुआएं कर रही है...  




Wednesday, March 9, 2011

पुतले में जान फूंककर....


पुतले में जान फूंककर,

सोचा था ख़ुदा ने
दुनिया की सबसे हसीं,

चीज़ बन गई...

उतरा ज़मी पर जब ये, 
मुजस्समा-ए-जानदार
जहां की हर शै, इससे डरकर
सहम गई...

दुनिया के तौर-ओ-तरीक़ों को सीखकर
इन पुललों की जान में रूह उतर गई...

देकर दिमाग़, नाम दिया था इंसान का
इन इंसानों के दिमाग़ में, कुराफ़ात भर गई...

बढ़ते क़दम आगे सिखाते गए पैतरे
दुनिया की पश-व-पेश में पड़, इनकी शान बड़ गई... 

जब देखा ख़ुदा ने इन्हें, तो हाल यूं हुआ
रूहवरों में जानवरों सी, फ़ितरत उतर गई...
  

Sunday, March 6, 2011

कुदरत ने अता किया


कुदरत ने अता किया, दुनिया को वो तोहफ़ा
ज़ात में उसकी, कायनात की ख़ूबसूरती समा गई

आंखे बना दीं झील, तो ज़ुल्फ़ें काली घटा
होंटों पे जो भी लफ़्ज़ हो, वो अमृत भरा हुआ

चेहरे पर चांद नूर ख़ुद छिड़क गया
फूलों ने ख़ुशबू इन्हें नज़राने में दे दिया

एहसास दिये नाज़ुक, हिम्मत दी बेपनाह
हर दौर से जो गुज़रे,उस शै को औरत बना दिया
HAPPY Women Day