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Thursday, July 14, 2011

मौत की मायानगरी

ये है मौत की बस्ती...यहां मौत है सस्ती...ख़ौफ़...दहशत...बेबसी...और सिसकियां...ये ज़मी निगल चुकी है लाखों ज़िंदगियां...ये है मौत की मायानगरी

चारों तरफ फैला सन्नाटा...चीख़-चीख़ कर अपनी तबाही की गवाही दे रहा है...एक बार फिर... सब कुछ उजड़ गया...हमेशा रफ्तार में रहने वाली मुंबई उस वक्त कुछ पलों के लिए थम गई...जब मुंबई में 3 जगह आईईडी, अमोनियम नाइट्रेट से कराए गए सीरियल ब्लास्ट ने पहले से सहमी मुंबई को दहला दिया...सिर्फ 10 मिनट...और थर्रा उठी मायानगरी...इस धमाके में 18 लोगों की जान आतंकियों के नापाक मंसूबे के परवान चढ़ गई...तकरिबन 140 से ज़्यादा लोग बुरी तरह ज़ख़्मी हो गए...और कुछ लोग अस्पतालों में मौत-ज़िन्दगी की जंग लड़ रहे है...
तीसरी बार आतंकियों का निशाना बने...महानगरी के झावेरी बज़ार में लगे...सीसीटीवी कैमरे ने...आतंक के सारे मंज़र को ख़ामोशी से कैद कर लिया...दादर में हुए धमाकों की तस्वीरे भी सीसीटीवी में कैद हो गई...फिलहाल सीसीटीवी में कैद संदिग्धों की जांच जारी है...जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों की मानें तो विस्फोट सेलफोन अलार्म से किया गया...धमाके के पीछे इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर का हाथ माना जा रहा है...एनआईए, एनएसजी और फॉरेंसिक टीमें जांच में जुटीं हुई हैं...मुंबई धमाकों में मारे गए लोगों में से एक की लाश पर इलेक्ट्रिक सर्किट पाया गया है...आशंका है कि  इस इलेक्ट्रिक सर्किट का इस्‍तेमाल कल हुए धमाकों में से एक को अंजाम देने के लिए किया गया हो...

इन धमाको की ज़िम्मेदारी अब तक किसी संगठन ने नहीली है लेकिन शक की सूई इंडियन मुजाहीदीन पर जा कर अटक गई है....आतंकि हमले होते है...जांच होती है...उसपर बहस होती है...और फिर मामला ठंडे बस्ते में...सवाल ये है कि मुंबई को ख़ून के आंसू रूला रहे आंतिकयों को उनके किये की सज़ा कब मिलेगी...कौन है देश और मुंबई में कोहराम मचाने का ज़िम्मेदार...
बहरहाल इस बार भी गृहमंत्रालय बेबस नज़र आया...दर्द से कराह रही मुंबई के मुखिया ने हमेशा की तरह मुआवज़े का एलान तो कर दिया...लेकिन वो आज भी मुबईकरस् को सुरक्षा का भरोसा नहीं दिला सके....  

Monday, July 11, 2011

कौन है ज़िम्मेदार ?



बेलगाम रफ्तार...मौत का सफ़र...रेलवे बेख़बर...कौन है ज़िम्मेदार?

80 ज़िन्दगियां निगल चुकी कालका मेल के दर्दनाक हादसे के बाद सभी के ज़ेहन में एक ही सवाल उठ रहे है कि आखिर और कितनी ज़िन्दगियां निगलेगी भारतीय रेल...

लगातार हो रहे हादसों से अब तक सैकड़ों लोगों की जान इन पटरियों के परवान चढ़ चुकी है...ऐसे हादसों ने कई जगहों को मौत का जक्शन बना दिया है...लेकिन हालात ये है कि अब तक रेल मंत्रालय के कान पर जुं तक नहीं रेंगी...

हादसे पर दुख जताते हुए रेलवे मुआवज़े का तो बंदोबस्त कर देती है...लेकिन आगे ऐसी अनहोनी ना हो इससे रेलवे बेखबर है...हमेशा गफलत में रहने वाला रेल मंत्रालय हादसों के वक्त जागता है...और फिर गहरी नींद में सो जाता है...बहरहाल ममता ने जब से पं. बंगाल की सत्ता संभाली है...तब से रेल मंत्रालय राम भरोसे ही चल रहा है ज्यादातर महकमों के आला पद खाली पड़े है...पीएम पहले से ही कई मंत्रालयों की कमान संभाल रहे है....ऐसे में रेल मंत्रालय का भार भी उनके कंधों पर है...

हाल ही में हुए हादसों के बाद भी रेलवे को कोई सबक़ नहीं मिल रहा है...रेलवे...मुसाफिरों को शुभयात्रा की दुआएं तो देती है...लेकिन वो....यात्रियों की शुभयात्रा के इंतज़ाम से बेखबर है ऐसे में अनहोनी होना लाज़मी है...
बहरहाल इससे पहले 22 मई को गरीब रथ में हुए हादसे में 20 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी...रेल मंत्रालय की नींद नहीं खुली...7 मई को मौत की क्रॉसिंग पर मथुरा-छपरा एक्सप्रेस ने बारातियों से भरी बस पर अपना क़हर बरपाया...तब भी रेल मंत्रालय सोया रहा...और इस बार शामत थी कालका मेल के यात्रियों की...मौत का मातम बनकर आई रेलवे की लपरवाही ने मासूम बच्चों को अनाथ बना दिया...अपनों को खोने का गम...अपनों को तलाशती ये मायूस नज़रे...और इनकी सिसकियों के सामने रेल मंत्रायल बेबस नज़र आ रहा है....ऐसे में सवाल यही उठता हैआखिर इस मौत की मेल का कौन है ज़िम्मेदार