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Thursday, June 9, 2011

आने वाले आते है..और चले जाते है...

आने वाले आते है..और चले जाते है...लेकिन कुछ ऐसा कर जाते हैं...नाम जग में अमर कर जाते है...कला के जिस फ़नकार को नमन करे ज़माना...हम भी सुना रहे है उन्हीं का फसाना...


फनकारों की आंखें नम है...कला की दुनिया में है मातम का माहौल...क्योकिं नहीं रहे मशहूर फनकार मक़बूल फिदा हुसैन...लंबे वक्त से ज़िंदगी और मौत के बीच जद्दोजहद कर रहे एम एफ हुसैन को मौत ने अपनी आगोश में ले लिया...लंदन के रॉयल ब्रॉम्टन हॉस्पीटल में भारत के पिकासो ने आखरी सांसे ली...




17 सितंबर 1915 में महाराष्ट्र के पढेरपुर में जन्में...हुसैन के हुनर से कौन वाक़िफ़ नहीं...इस फनकार ने अपने फन से पूरी दुनिया को अपना क़ायल बनाया...इस लिए इन्हें भारत का पिकासो कहते थे...वर्क पर उकेरी गई हुसैन की लकीरे बोल उठती थी...एम एफ हुसैन की हर पेंटिंग में कुछ न कुछ पैगाम छुपा होता था...
हुसैन को उनकी चित्रकारी के लिए 1973 में पदमभूषण और 1991 में पद्मविभूषण अवार्ड से नवाज़ा गया...इसके अलावा इन्हें पद्मश्री अवार्ड भी दिया गया...और देखते ही देखते हुसैन चित्रकारी की दुनिया के सबसे मंहगे चित्रकार बन गए...अपनी फ़न से चित्रकारी की दुनिया में देश का नाम रौशन करने वाले हुसैन ने फिल्मों में भी अपना हुनर दिखाया...1967 में हुसैन की पहली फिल्म थ्रो द आईज़ ऑफ ए पेंटर में गोल्डन बीयर अवार्ड से नवाज़ी गयी... इसके अलावा हुसैन ने गजगामिनी और मीनाक्षी जैसी फिल्में भी बनायीं...




1996 से एम एफ हुसैन अपनी चित्रकारी पर उठे विवादों में घिरते चले गये...लेकिन हालात कुछ ऐसे हुये की इस फनकार को देश बदर कर दिया गया...6 फरवरी 2006 को एम एफ हुसैन के ज़रिए बनाई गई भारत माता…और देवी देवताओं की आपत्तिजनक पेंटिंग के विवाद की वजह से इस फनकार को देश छोड़ना पड़ा...और वो 2006 में लंदन जा बसे...उसके बाद उन्हें 2010 में क़तर की नागरिकता मिल गई...लेकिन देश बदर होने का मलाल हुसैन के दिलों ज़ेहन में आख़री वक्त तक छाया रहा... और शायद इसी वजह से उनकी सेहत बिगड़ती गई...और वतन वापसी के इंतज़ार में इस फनकार ने अपनी आंखे गैरों के बीच बंद कर ली...

Thursday, June 2, 2011

बाबा का 5 स्टार सत्याग्रह


लक्ज़री सुविधाओं से लैस सत्याग्रह
पंडाल के अंदर AC, ICU, 5000 पंखे
2000 वर्ग फिट का मंच
1 लाख स्क्वॉयर फिट का तंबू
पानी के पुख़्ता इंतज़ाम
सुरक्षा व्यवस्था चौकस 
लक्ज़री सुविधाओं से लैस बाबा राम देव के सत्याग्रह में हर ऐशों अराम की चीज़ मौजूद है...बाबा के सत्याग्रह की तैयारी तकरीबन 80 प्रतिशत पूरी हो चुकी है...रामलीला मैदान को पूरी तरह से घर जैसा बनाने की कोशिश की गई है...


बाबा के सत्याग्रह के पंडाल में पानी का इंतज़ाम सबसे अच्छा किया गया है...पूरे मैदान में पाईप का जाल बिछाया दिया गया है...रामलीला मैदान में इतने नल लगाए गए हैं...जिसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है...लेकिन इंतज़ामियां इसकी संख्या तकरीबन 1 हज़ार बता रहे है...इसके अलावा पानी की टंकियों का भी इंतज़ाम है...
सात्याग्रह के लिए बनाये गए वॉटर प्रूफ पंडाल में 5000  फंखे और एसी लगाऐ गए हैं...इसके अलावा पंडाल में स्वास्थय के मद्देनज़र दो आईसीयू की सुविधा है...एक–एक आईसीयू में 50 मरीज़ों के बेड का इंतज़ाम किया गया है...मंच के पीछे चार ऐसे एयर कंडीशन कमरे बनाए गए है जहां तबियत बिगड़ने पर थोड़ी देर के लिए अनशन पर बैठे लोग आराम कर सकें...शिविर में 1200 टोलेट का भी इंतज़ाम किया गया है...
अष्टांग योग शिविर के नाम से 4 जून से शुरू हो रहे बाबा के सत्याग्रह की सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किए गए है...छावनी में तब्दील रामलीला मैदान में सरकारी सुरक्षा बल के साथ-साथ बाबा के निजी भारत स्वाभीन ट्रस्ट के 500 सुरक्षाकर्मी भी रामलीला मैदान में तैनात हैं...जो रामदेव की आंतरिक सुरक्षा करेंगे...इसके अलावा लोगों की सुविधा के लिए पूछताछ केंद्र, मीडीया केंद्र बनाए गए हैं...  
सत्याग्रह की सारी कहानी बाबा के योग शिविर के आड़ में अंजाम दी जा रही है...मतलब साफ़ है कि बाबा सत्याग्रह में जंतर मंतर पर बैठेंगे और बीच-बीच में हालचाल लेने रामलीला मैदान आते रहेगे...यानी बाबा सरकार पर एक तीर से दो निशाना साधने की फिराक़ में है...