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Wednesday, May 26, 2021

माय नेम इज़ खान सर, बट आई एम नॉट…….?

सवालों की सुनामी में घिरे सोशल मीडिया पर क्लास ले रहे एक अध्यापक जिसको फिलहाल हम खान सर के नाम से जानते हैं। आइए जानते है क्या है पूरा मामला।

बदनाम ही सही लेकिन नाम तो होगा। ये कहावत तो गुजरे जमाने की है। नया दौर नई तकनीक और अपनी असली पहचान छुपा कर नया नामकरण कर समाज में दुविधा पैदा करने का दौर जोरों पर है। ऐसी बहरूपिया गिरी की झलक हम बीते दिनों शाहीन बाग, लखनऊ और जामिया में एनआरसी आंदोलन के दौरान देख चुके हैं।


अब बारी है बिहार के एक गुरु जी की जो पटना में एक कोचिंग में छात्रों को ज्ञान देने के साथ-साथ खुद अपनी पहचान के लिए भ्रमित कर रहे हैं। जिसको हम "खान सर" के नाम से जानते हैं। सोशल मीडिया पर खान सर के कई वीडियो वायरल हुए हैं जिसमे वो कोविड के साथ-साथ कई विषयों के बारे में ज्ञान देते नज़र आते हैं । 

लेकिन खान सर भी एक इंसान ही है कब तक झूठे नाम के पीछे मुंह छुपाते, आखिर चमड़े की ही जुबान है, फिसल ही गई। और एक नया बवाल शुरू हो गया। 


एक वीडियो में खान सर छात्रों के साथ अपने करियर के शुरुआती दौर का जिक्र कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने बातों-बातों में अपने असली नाम का जिक्र कर दिया। खान सर ने कहा मुझे कोचिंग वालों ने खान सर का नाम दिया है। वैसे लोग मुझे अमित सिंह भी कहते हैं। अब बात मुंह से निकली है तो दूर तलक जायेगी और पहुंच भी गई। खान सर के असली नाम वाले वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर कम्युनल सैलाब उमड़ पड़ा।  जिसके बाद लोगों ने उनका असली नाम जानने की कोशिश की तो खान सर बात को घुमा फिरा कर करने लगे।


एक पत्रकार के उनके नाम पर सवाल पूछने पर खान सर ने जवाब देने के बजाए उल्टा पत्रकार के ऊपर ही सवाल के बान चला दिए। खान सर से पत्रकार से पूछा की आप पीटी उषा का पूरा नाम बताइए। जब उनसे पूछा गया कि उनके माता-पिता उन्हें क्या कह कर संबोधित करते हैं तो खान सर ने कहा भैय्या।


सोशल मीडिया के माध्यम से खुद को प्रसिद्ध करने का बुखार हर एक के सर पर चढ़ा है लेकिन इसी कड़ी में एक तबका ऐसा है जो खुद की ही पहचान छुपा कर समाज को दुविधा में डाल रहा है। ऐसे कई मामले पहले भी सुर्खियों में आ चुके हैं।


अब इसके पीछे खान सर की मंशा वन मिलियन फॉलोअर्स  हैं या कुछ और ये तो खान सर ही बता सकते है। लेकिन सवाल ये भी है की आखिर नाम छुपा कर सोशल मीडिया पर ट्रैफिक पाने की सस्ती लोकप्रियता के लिए ढोंग रचना भी समाज में अराजकता फैलाने से कम नहीं है। यह देश के लिए भी नासूर बन सकता है।


देश के हालात को देखते हुए इसके पीछे की मंशा और मानसिकता दोनो ही साफ है। या तो दाल में कुछ काला है या पूरी दाल ही मलका मसूर है। (बिना छिलके की मसूर दाल)


मर्जिया जाफर