आने वाले आते है..और चले जाते है...लेकिन कुछ ऐसा कर जाते हैं...नाम जग में अमर कर जाते है...कला के जिस फ़नकार को नमन करे ज़माना...हम भी सुना रहे है उन्हीं का फसाना...
फनकारों की आंखें नम है...कला की दुनिया में है मातम का माहौल...क्योकिं नहीं रहे मशहूर फनकार मक़बूल फिदा हुसैन...लंबे वक्त से ज़िंदगी और मौत के बीच जद्दोजहद कर रहे एम एफ हुसैन को मौत ने अपनी आगोश में ले लिया...लंदन के रॉयल ब्रॉम्टन हॉस्पीटल में भारत के पिकासो ने आखरी सांसे ली...
17 सितंबर 1915 में महाराष्ट्र के पढेरपुर में जन्में...हुसैन के हुनर से कौन वाक़िफ़ नहीं...इस फनकार ने अपने फन से पूरी दुनिया को अपना क़ायल बनाया...इस लिए इन्हें भारत का पिकासो कहते थे...वर्क पर उकेरी गई हुसैन की लकीरे बोल उठती थी...एम एफ हुसैन की हर पेंटिंग में कुछ न कुछ पैगाम छुपा होता था...
हुसैन को उनकी चित्रकारी के लिए 1973 में पदमभूषण और 1991 में पद्मविभूषण अवार्ड से नवाज़ा गया...इसके अलावा इन्हें पद्मश्री अवार्ड भी दिया गया...और देखते ही देखते हुसैन चित्रकारी की दुनिया के सबसे मंहगे चित्रकार बन गए...अपनी फ़न से चित्रकारी की दुनिया में देश का नाम रौशन करने वाले हुसैन ने फिल्मों में भी अपना हुनर दिखाया...1967 में हुसैन की पहली फिल्म थ्रो द आईज़ ऑफ ए पेंटर में गोल्डन बीयर अवार्ड से नवाज़ी गयी... इसके अलावा हुसैन ने गजगामिनी और मीनाक्षी जैसी फिल्में भी बनायीं...
1996 से एम एफ हुसैन अपनी चित्रकारी पर उठे विवादों में घिरते चले गये...लेकिन हालात कुछ ऐसे हुये की इस फनकार को देश बदर कर दिया गया...6 फरवरी 2006 को एम एफ हुसैन के ज़रिए बनाई गई भारत माता…और देवी देवताओं की आपत्तिजनक पेंटिंग के विवाद की वजह से इस फनकार को देश छोड़ना पड़ा...और वो 2006 में लंदन जा बसे...उसके बाद उन्हें 2010 में क़तर की नागरिकता मिल गई...लेकिन देश बदर होने का मलाल हुसैन के दिलों ज़ेहन में आख़री वक्त तक छाया रहा... और शायद इसी वजह से उनकी सेहत बिगड़ती गई...और वतन वापसी के इंतज़ार में इस फनकार ने अपनी आंखे गैरों के बीच बंद कर ली...
फनकारों की आंखें नम है...कला की दुनिया में है मातम का माहौल...क्योकिं नहीं रहे मशहूर फनकार मक़बूल फिदा हुसैन...लंबे वक्त से ज़िंदगी और मौत के बीच जद्दोजहद कर रहे एम एफ हुसैन को मौत ने अपनी आगोश में ले लिया...लंदन के रॉयल ब्रॉम्टन हॉस्पीटल में भारत के पिकासो ने आखरी सांसे ली...
17 सितंबर 1915 में महाराष्ट्र के पढेरपुर में जन्में...हुसैन के हुनर से कौन वाक़िफ़ नहीं...इस फनकार ने अपने फन से पूरी दुनिया को अपना क़ायल बनाया...इस लिए इन्हें भारत का पिकासो कहते थे...वर्क पर उकेरी गई हुसैन की लकीरे बोल उठती थी...एम एफ हुसैन की हर पेंटिंग में कुछ न कुछ पैगाम छुपा होता था...
हुसैन को उनकी चित्रकारी के लिए 1973 में पदमभूषण और 1991 में पद्मविभूषण अवार्ड से नवाज़ा गया...इसके अलावा इन्हें पद्मश्री अवार्ड भी दिया गया...और देखते ही देखते हुसैन चित्रकारी की दुनिया के सबसे मंहगे चित्रकार बन गए...अपनी फ़न से चित्रकारी की दुनिया में देश का नाम रौशन करने वाले हुसैन ने फिल्मों में भी अपना हुनर दिखाया...1967 में हुसैन की पहली फिल्म थ्रो द आईज़ ऑफ ए पेंटर में गोल्डन बीयर अवार्ड से नवाज़ी गयी... इसके अलावा हुसैन ने गजगामिनी और मीनाक्षी जैसी फिल्में भी बनायीं...
1996 से एम एफ हुसैन अपनी चित्रकारी पर उठे विवादों में घिरते चले गये...लेकिन हालात कुछ ऐसे हुये की इस फनकार को देश बदर कर दिया गया...6 फरवरी 2006 को एम एफ हुसैन के ज़रिए बनाई गई भारत माता…और देवी देवताओं की आपत्तिजनक पेंटिंग के विवाद की वजह से इस फनकार को देश छोड़ना पड़ा...और वो 2006 में लंदन जा बसे...उसके बाद उन्हें 2010 में क़तर की नागरिकता मिल गई...लेकिन देश बदर होने का मलाल हुसैन के दिलों ज़ेहन में आख़री वक्त तक छाया रहा... और शायद इसी वजह से उनकी सेहत बिगड़ती गई...और वतन वापसी के इंतज़ार में इस फनकार ने अपनी आंखे गैरों के बीच बंद कर ली...