चुनावी पिटारे में क़ैद सत्ता के संग्राम से पर्दा उठ गया है... हार जीत का फ़ैसला सरेआम हो गया है... और अब विहार सत्ता की कमान दुबारा संभालने जा रहे हैं पाटलीपुत्र के लायक पुत्र नीतीश कुमार जिसमे विकास के आधार पर बिहार चुनावी समर में अपना परचम लहराया... एक बार फ़िर सत्ता की कमान संभाल कर हुक्मरान-ए-आवाम बन गए नीतीश ने बिहार के राज्यपाल से मिलकर मुख्यामंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और 26 नवंबर को वो दुबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर गठबंधन सरकार बनाएंगे...
इस चुनाव में विकास को वोट और जातिवाद को चोट मिली है... तभी तो जातिवाद की राजनीति करने वाले लालू को ज़ोर का झटका कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से लग गया... 15 साल तक बिहार पर राज कर चुके लालू की लालटेन नीतीश की विकास की आंधी में बुझ गई, और उनके पूरे परिवार का इस चुनाव से पत्ता साफ हो गया है... विधानसभा चुनाव में रबड़ी की मिठास भी फीकी पड़ गई... राबड़ी देवी भी अपने निर्वाचन क्षेत्र राघोपुर और सोनपुर से लुढ़क गई... लालू के साले साधु यादव भी गोपालगंज से चुनावी समर में मुंह के बल गिरे... इसके अलावा मैदान में अकेले उतरी कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल और सोनिया गांधी के पत्ते भी पिट गए... क्योंकि बिहार चुनाव में इस बार सत्तारूढ़ पार्टी ने विकास का मुद्दा उठाया था, जबकि विपक्षी पार्टियों ने सरकार की नाकामी को जनता के बीच उछालने की कोशिश की थी... विपक्ष द्वारा उछाली गई बिहार सरकार की नाकामी उसका सबसे बड़ा हथियार बनी... जिसका नतिजा आपके सामने है कि नीतीश सरकार एक बार फिर सत्ता की कमान संभालने जा रही है... ख़ैर बिहार में एक बार फिर नीतीश की जय और लालू के सर मंडरा रहा है भय...
दल लीड जीत टोटल (243/243)
जेडी(यू) 57 55 112
बीजेपी 42 47 89
आरजेडी 16 6 22
कांग्रेस 3 3 6
एलजेपी 5 1 6
निर्दलीय 4 2 6
अन्य 2 0 2
बीएसपी 0 0 0
लेफ़्ट 0 0 0
ग़ौरतलब है कि बिहार विधानसभा कुल 243 सीटों पर चुनाव हुए... और इस चुनावी मैदान में कुल 1225 उम्मीदवार उतरे जिसमें मुख्य पार्टियों के उम्मीदवार जद (यू) के 141, भाजपा के 102, राजद के 168, लोजपा के 75, कांग्रेस के 243 और बसपा के 239 उम्मीदवार थे... 6 चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव में 52 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया...
मरज़िया जाफ़र
बढ़िया लिखा है अगली पोस्ट का इन्तिज़ार है
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