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Sunday, March 6, 2011

कुदरत ने अता किया


कुदरत ने अता किया, दुनिया को वो तोहफ़ा
ज़ात में उसकी, कायनात की ख़ूबसूरती समा गई

आंखे बना दीं झील, तो ज़ुल्फ़ें काली घटा
होंटों पे जो भी लफ़्ज़ हो, वो अमृत भरा हुआ

चेहरे पर चांद नूर ख़ुद छिड़क गया
फूलों ने ख़ुशबू इन्हें नज़राने में दे दिया

एहसास दिये नाज़ुक, हिम्मत दी बेपनाह
हर दौर से जो गुज़रे,उस शै को औरत बना दिया
HAPPY Women Day

3 comments:

  1. मरजिया इस खूबसूरत कविता को रच कर आपने महिला दिवस को और भी प्रासंगिक बना दिया है आभार

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