ग़रीबों का गुमनाम गांव...जहां झुंड में है नत्था...बात का बना बड़ा बतंगड़...गांव बना सियासी दंगल...ये है भट्टा परसौल लाईव!!!
ये कहना गलत नहीं होगा कि...देस मेंरा रंग रेज़ है बाबू...घाट-घाट यहां घटता जादू...हम पीपली लाईव के नत्था के गांव की बात नहीं कर रहे है...बल्कि रियल लाईफ के कई नत्था जैसों के गांव भट्टा परसौल की बात कर रहे हैं...कल तक जिस सूबे के मामूली गांव पर गुमनामी की ग़ुबार थी...जहां ग़रीबों की सुध लेने वाला कोई नहीं था...आज अचानक उसी गांव में नेताओं का जमावड़ा लगा है...7 मई को मचे महासंग्राम के बाद ये गांव सुर्खियों में आ गया...और अब वही गांव सियासत का अखाड़ बन गया है...तभी तो मैने कहा...ये है भट्टा परसौल लाईव !!!
"राई पहाड़ है कंकर-शकंर...बात है छोटी बड़ा बतंगड़...
इंडिया सर ये चीज़ धुरंधर..रंग रंगीला प्रजातन्तर"
बहरहाल ये ड्रामेबाज़ी तो चलती रहेगी...लेकिन हम अपको बाताते है...इस गांव के गरीब किसानों के कुछ मसीहाओं के बारे में...
ये है मसीहा न0 1 बीजेपी नेता राजनाथ सिंह... जिन्होंने ने पुलिस की ज़्यात्ती और भूमि अधिग्रहण से मिले किसानों के जख्म पर सियसी मलहम लगाने की कोशिश की... जिसके एवज़ में इन्हें हवालात की हवा भी खानी पड़ी... और अब जनाब राजनीति चमकाने के लिए अनशन पर बैठे है... ख़ैर प्यार और जंग में सब जाएज़ है...लेकिन यहां तो दोनों ही चीज़ है... मुख्यमंत्री की कुर्सी से प्यार... और वोट बैक के लिए जंग...
ये हैं गांव के मसीहा न0-2 सपा नेता शिवपाल सिंह यादव इनके साथ भी कुछ ऐसा ही वाक़्या हुआ...
ख़ैर अब बारी थी कांग्रेस के एंगी यंग मैंन राहुल बाबा की...
जिन्होंने सारे क़ायेदे क़ानून ताक पर रखकर गांव में बाईक से एंट्री मारी...और 19 घंटों तक धरने पर बैठे रहे...इस बीच बहती गंगा में हाथ धोने पहुंचे सीडी सूरमा श्रीमान अमर सिंह भी राहुल की रहा चले...
राहुल के नक्शे कदम पर चलते हुए...अमर सिंह ने भी गांव में बाइक से एंट्री मारी...
राहुल का ड्राम चलता रहा...उसके बाद राहुल और उनके खेमें को धारा 144 के उलंघन में आधी रात को भारी हंगामें के बीच गिरफ्तार कर लिया गया...हालांकि बाद में वो रिहा भी हो गये...लेकिन यहीं से यूपी की सियासत में उफ़ान उमड़ने लगा...और कांग्रेस ने भट्टा परसौल के शोलों की आंच में सियासत की रोटी सेकने कि लिए प्रदेश में चक्का जाम कर दिया...
विपक्षियों का निशाना बनी माया सरकार प्रदेश में मचे बवाल के बाद नींद से जागी और पर्दें के सामने आई...हमेशा की तरह तानाशाही माया ये कहकर साफ-साफ मुकर गई की किसानों को उनका पूरा मुआवज़ सरकार दे चुकी है...बौखलाई माया ने यहां तक कह डाला की राहुल ओछी सियासत कर रहे है...और विपक्षियों के पास उत्तर प्रदेश में दूसरा मुद्दा नहीं बचा है इसलिए किसानों की भूमि अधिग्रहण को जबरन मुद्दा बनाया जा रहा है...यानी उल्टा चोर कोतवाल को डांटे...ख़ैर फिल्म की तर्ज़ पर हो रहे इस पूरे ड्रामें में नेताओं का सिर्फ एक ही मक़सद है...मिशन 2012 के आगामी चुनाव...जिसके लिए सूबे के सिहांसन का रास्ता बन कर उभरा है भट्टा परसौल गांव...तभी तो देस मेंरा रंग रेज़ है बाबू...घाट-घाट यहां घटता जादू...
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