बेलगाम रफ्तार...मौत का सफ़र...रेलवे बेख़बर...कौन है ज़िम्मेदार?
80 ज़िन्दगियां निगल चुकी कालका मेल के दर्दनाक हादसे के बाद सभी के ज़ेहन में एक ही सवाल उठ रहे है कि आखिर और कितनी ज़िन्दगियां निगलेगी भारतीय रेल...
लगातार हो रहे हादसों से अब तक सैकड़ों लोगों की जान इन पटरियों के परवान चढ़ चुकी है...ऐसे हादसों ने कई जगहों को मौत का जक्शन बना दिया है...लेकिन हालात ये है कि अब तक रेल मंत्रालय के कान पर जुं तक नहीं रेंगी...
हादसे पर दुख जताते हुए रेलवे मुआवज़े का तो बंदोबस्त कर देती है...लेकिन आगे ऐसी अनहोनी ना हो इससे रेलवे बेखबर है...हमेशा गफलत में रहने वाला रेल मंत्रालय हादसों के वक्त जागता है...और फिर गहरी नींद में सो जाता है...बहरहाल ममता ने जब से पं. बंगाल की सत्ता संभाली है...तब से रेल मंत्रालय राम भरोसे ही चल रहा है ज्यादातर महकमों के आला पद खाली पड़े है...पीएम पहले से ही कई मंत्रालयों की कमान संभाल रहे है....ऐसे में रेल मंत्रालय का भार भी उनके कंधों पर है...
हाल ही में हुए हादसों के बाद भी रेलवे को कोई सबक़ नहीं मिल रहा है...रेलवे...मुसाफिरों को शुभयात्रा की दुआएं तो देती है...लेकिन वो....यात्रियों की शुभयात्रा के इंतज़ाम से बेखबर है ऐसे में अनहोनी होना लाज़मी है...
बहरहाल इससे पहले 22 मई को गरीब रथ में हुए हादसे में 20 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी...रेल मंत्रालय की नींद नहीं खुली...7 मई को मौत की क्रॉसिंग पर मथुरा-छपरा एक्सप्रेस ने बारातियों से भरी बस पर अपना क़हर बरपाया...तब भी रेल मंत्रालय सोया रहा...और इस बार शामत थी कालका मेल के यात्रियों की...मौत का मातम बनकर आई रेलवे की लपरवाही ने मासूम बच्चों को अनाथ बना दिया...अपनों को खोने का गम...अपनों को तलाशती ये मायूस नज़रे...और इनकी सिसकियों के सामने रेल मंत्रायल बेबस नज़र आ रहा है....ऐसे में सवाल यही उठता है…आखिर इस मौत की मेल का कौन है ज़िम्मेदार ?
बहुत ही अफ़सोस जनक हादसा.
ReplyDeleteजब तक सीधे तौर पर सज़ा नहीं तय होती -हादसे होते रहेंगे.