अन्ना का अनशन कैसे तुड़वाया जाए...? इस सवाल ने सरकार, विपक्ष, और देश के सभी राजनैतिक दलों की नींदें उड़ा दीं है...बुधवार रात नॉर्थ ब्लॉक में टीम अन्ना और सरकार के बीच हुई बातचीत के बाद...अन्ना के पास मायूस लौटी टीम के तेवर तीखे नज़र आये...इस उम्र में संघर्ष कर रहे अन्ना की सुध लेने के बजाए सरकार ने अन्ना का अनशन कैसे तुड़वाया जाए इसकी ज़िम्मेदारी टीम अन्ना पर थोप दी...जब टीम अन्ना ने अन्ना के अनशन तुड़वाने के बारे में वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी से सवाल पूछा तो प्रणव दा ने तीखे तेवर में कहा की अन्ना का अनशन कैसे तुड़वाना है ये आप की जिम्मेदारी है...वित्तमंत्री के गैर ज़िम्मेदाराना जबाव के बाद रामलीला रण का मंज़र क्रांति भरा नज़र आया...अन्ना ने भी आंदोलन के रूख़ और तेवर तीखा करने की हुंकार भरी दी...अन्ना ने समर्थकों से ये अपील भी कर दी...की सरकार के लोग...अगर उन्हें जबरन अस्पताल ले जाए तो...आप लोग रास्ता रोक कर खड़े हो जाए...साथ ही सरकार के रवैये पर अन्ना ने समर्थकों से ज़रूरत पड़ने पर जेल भरो आंदोलन की अपील की...
हर दिन सरकार की एक नई ड्रामेबाज़ी के बाद टीम अन्ना आगे की बातचीत के लिए लिखित ड्राफ्ट की मांग पर अड़ी है...वहीं जनलोकपाल के मुद्दे पर बात कर रहे सरकार के एक-एक करके सभी मोहरे पिटते जा रहे है...सिब्बल के बाद मामले पर चर्चा के लिए आगे आये कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी भी फ्लॉप हो गए...बल्कि इन दोनों ने तो मुद्दे को भी गुमराह करने की कोशिश की...जनलोकपाल की 3 शर्तों पर अड़ी टीम अन्ना को बातों के जाल में गोल-गोल घुमा रहे सरकार के ये दोनों दिग्गज भी कोई हल नहीं निकाल सके...सर्वदलीय बैठक का भी कोई नतीजा नहीं निकला...विपक्ष भी कशमकश में दिखा राजनैतिक दल जनलोकपाल पर शायद इस लिए कोई फैसले या नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे हैं कि क्योंकि सभी दल ये अच्छी तरह से जानते है कि अगर जनलोकपाल बिल पास हो गया तो मौजूदा सरकार के साथ-साथ कभी ना कभी उन्हें भी इसका ख़ामियाज़ भुगतना पड़ेगा...क्योंकि बिल पास होने के बाद कोई नहीं जानता की अगली सरकार किसकी होगी...सर्वदलीय बैठक के बाद अन्ना की तरफदारी कर रही विपक्ष बैकफुट पर नज़र आई...सरकार के रोज-रोज़ बदल रहे जुमले और लहजे से साफ़ ज़ाहिर है कि इन दिनों सरकार लावारिस हो गई है...फ़िलहाल सरकार की लगाम सात समंदर बैठी यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों में है...और शायद यूपीए 2 के महारथियों पर मीलों दूर से नकेल कसी जा रही है...इसीलिए ये सही दिशा में बातचीत करने के लिए बेबस है...और शायद तभी बौखलाई सरकार एक 74 साल के बुर्जुग के साथ बेहद असंवैधानिक बरताव कर रही है...अन्ना के अनशन का 10वां दिन है...और सरकार का रवैया ग़ैर जिम्मेंदाराना...जनलोपाल बिल को लेकर बेनतीजा बैठकों का दौर जारी है...हर बैठक में सरकार का रूख़ तोला माशा हो रहा है...या ये कहें कि सरकार मुद्दे को गुमराह करने की कोशिश कर रही है...वहीं टीम अन्ना का आरोप है कि सरकार बातचीत तो कर रही है...लेकिन ये सारी बैठक बेबुनियादी साबित हुई...तो फिर ऐसी बैठकों का क्या फायदा...
हालात वाकई दुखद हैं,बढ़िया पोस्ट.
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