एक 74 साल का बुज़ुर्ग...ना कोई आगे ना कोई पीछे...लेकिन आज पूरा हिन्दुस्तान इनके साथ क़दम ताल कर रहा है...सूती धोती...सफेद मामूली कुर्ता...सर पर गांधी टोपी...सांवला रंग...मियादा क़द...ना कोई स्टाईल...ना कोई स्टेटस...दुन्यावी दांव पेंच में भी हाथ तंग है...अंग्रेज़ी से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं...हिंन्दी बोलने में भी जुबान लड़खड़ा जाती है...महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव रालेगण सिद्धी से ताल्लुक़ रखते हैं शायद इसीलिए मराठी भाषा फर्राटे से बोलते हैं...
कभी दिल्ली की अजनबी गलियों में घूमने वाले इस अंजान चेहरे की आज दिल्ली है दिवानी...ये हैं महाराष्ट्र की मिसाल...बिहार है इस शख्स पर बलिहारी...गोवा और गुजरात का गुरूर है तो राजस्थान का रत्न...मध्यप्रदेश, मद्रास, मल्यालम, मनीपुर, मिज़ोरम भी है इस शख्स पर मेहरबान...छत्तीसगढ़, चंडीगढ़ का चहेता...पश्चिम बंग, पंडूचेरी, पंजाब की पहचान...सिक्किम का सूरमा...तो नागालैंड भी है इनके काम से निहाल...त्रिपुरा, तमिलनाडू की तलवार...कश्मीर केरल और कर्नाटका करता है इनकी करामत को सलाम...उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, उड़ीसा की उर्जा...हिमाचल प्रदेश और हरियाणा इनकी हर हुंकार पर हामी भरता है...असम अरूणांचल प्रदेश, आंध्राप्रदेश की आन...झारखंड का जूनून...ये बन गए हैं उभरते हिन्दुस्तान के हीरो...
देश के इन सभी सूबों में सिर्फ इस महापुरूष की चर्चा है...हमारे देश में अनेक भाषा, जाति, धर्म है...इस देश के इतने रंग हैं कि शायद कितनों को तो इस महान आत्म की जुबान भी समझ नहीं आती होगी...लेकिन जज़्बात की कोई जुबान नहीं होती...और शायद इसी जज़्बे के साथ लोग इस शख़्स का समर्थन कर रहे है...जिसने अपने बूढ़े कंधों पर देश में फैले भ्रष्टाचार को मिटाने की ज़िम्मेंदारी उठाई है...जिसकी एक अपील पर जाग जाता है देश का हर कोना...वो है किसन बापट बाबूराव हज़ारे उर्फ अन्ना हज़ारे...
देश के इन सभी सूबों में सिर्फ इस महापुरूष की चर्चा है...हमारे देश में अनेक भाषा, जाति, धर्म है...इस देश के इतने रंग हैं कि शायद कितनों को तो इस महान आत्म की जुबान भी समझ नहीं आती होगी...लेकिन जज़्बात की कोई जुबान नहीं होती...और शायद इसी जज़्बे के साथ लोग इस शख़्स का समर्थन कर रहे है...जिसने अपने बूढ़े कंधों पर देश में फैले भ्रष्टाचार को मिटाने की ज़िम्मेंदारी उठाई है...जिसकी एक अपील पर जाग जाता है देश का हर कोना...वो है किसन बापट बाबूराव हज़ारे उर्फ अन्ना हज़ारे...
21वीं सदी के यूथ आईकन बने अन्ना की आंधी पूरे देश में चल रही है...युवा ने इन्हें अपना आईडियल बना लिया है...अन्ना की टोपी फैशन बन गई है...या ये कहें की उम्र के आख़िरी पड़ाव पर अन्ना भारत के देशी ब्रांड बनकर उभरे है...जिधर देखो अन्ना...अन्ना...अन्ना...की ही धूम है...21वीं सदी के गांधी की छवी लेकर उभरे एक मामूली शख़्स की अहिंसक क्रांति ने देश के बूढ़े जवान बच्चों महिलाओं को झींझोड़ कर रख दिया है...ताज्जुब होता है...ये देखकर कि जिस देश में सचिन तेंदुल्कर, शाहरूख़ खान, सलमान ख़ान और महेंद्र सिंह धोनी को अपना आईकान मानने वाला यूथ आज कह रहा है “मैं अन्ना हूं”...!!!
हैरत होती है ये देखकर...आईटम नंबर की धुन पर झूमने वाली युवा पीढ़ि आज “वन्दे मातरम्” का राग अलाप रही है...और ख़ुशी होती है ये देखकर रासलीला में मदहोश रहने वाली देश की युवा पीढ़ी रामलीला मैदान में देश भक्ति में लीन है...और ये सब कमाल किया हैं अन्ना की जादू की छड़ी जनलोकपाल बिल ने...
अब तक सिर्फ़ सुना था कि भारत लोकतांत्रिक देश है...लेकिन अन्ना के आंदोलन के बाद यकीन हो गया...की भारत में अगर किसी का राज है तो वो सिर्फ जनतंत्र का है...तभी तो देश का बच्चा-बच्चा अन्ना के रण रामलीला मैदान की तरफ कूंच कर रहा है...देशभर में चप्पे-चप्पे पर अन्नागिरी छाई है...देश छोड़ो आंदोलन के किस्से किताबों में पढ़ने वाला युवा वर्ग 21वीं सदी के भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना के आंदोलन का गवाह बन रहा है...और इसका अंदाज़ा अन्ना के समर्थन में सड़कों पर उमड़े जनसैलाब से लगाया जा सकता है...भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अभी तो अन्ना की ये अंगड़ाई है...लड़ाई जनलोकपाल बिल के फ़ैसले पर टिकी है...
जय हिंद….!!!!
कई अन्ना भ्रष्टाचार का विरोध में इसी देश में कुचल दिए गये,यह मीडिया की मेहरबानी है कि इस अन्ना को आज भ्रष्टाचार के विरोध का अडिग स्तंभ बना दिया है.
ReplyDeleteयह मुहिम अब न तो रूकने वाली है और न ही रूकनी चाहिए.
आज भी इस देश के हर गांव-शहर और गली में अन्ना हैं ,बस जरूरत है उन्हें सपोर्ट करने की.
aana k sath lge rho doston.. kuch dino me saaf suthra desh milega...
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