पुतले में जान फूंक के सोचा था ख़ुदा ने
दुनिया की सबसे हंसी चीज़ बन गई।
उतरा ज़मीं पे जब ये, मुजस्समा-ए-जानदार
जहां की हर शै डर के सहम गई।
दुनिया के तौर-ओ-तरीक़ों को सीखकर
इन इंसानों की जान में रूह उतर गई
देकर दिमाग़ नाम दिया था इंसान का
इन इंसानों के दिमाग़ में कुराफ़ात भर गई।
बढ़ते क़दम आगे सिखाते गए पैतरे
दुनिया की पश-ओ-पेश में पड़ इनकी शान बढ़ गई।
जब देखा ख़ुदा ने इन्हें तो हाल यूं हुआ
रूहवरों में जानवरों से फ़ितरत उतर गई।
मिर्ज़ा मरज़िया जाफ़र बेग
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