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Thursday, August 25, 2011

अन्ना अनशन कैसे तोड़ें ?


अन्ना का अनशन कैसे तुड़वाया जाए...? इस सवाल ने सरकार, विपक्ष, और देश के सभी राजनैतिक दलों की नींदें उड़ा दीं है...बुधवार रात नॉर्थ ब्लॉक में टीम अन्ना और सरकार के बीच हुई बातचीत के बाद...अन्ना के पास मायूस लौटी टीम के तेवर तीखे नज़र आये...इस उम्र में संघर्ष कर रहे अन्ना की सुध लेने के बजाए सरकार ने अन्ना का अनशन कैसे तुड़वाया जाए इसकी ज़िम्मेदारी टीम अन्ना पर थोप दी...जब टीम अन्ना ने अन्ना के अनशन तुड़वाने के बारे में वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी से सवाल पूछा तो प्रणव दा ने तीखे तेवर में कहा की अन्ना का अनशन कैसे तुड़वाना है ये आप की जिम्मेदारी है...वित्तमंत्री के गैर ज़िम्मेदाराना जबाव के बाद रामलीला रण का मंज़र क्रांति भरा नज़र आया...अन्ना ने भी आंदोलन के रूख़ और तेवर तीखा करने की हुंकार भरी दी...अन्ना ने समर्थकों से ये अपील भी कर दी...की सरकार के लोग...अगर उन्हें जबरन अस्पताल ले जाए तो...आप लोग रास्ता रोक कर खड़े हो जाए...साथ ही सरकार के रवैये पर अन्ना ने समर्थकों से ज़रूरत पड़ने पर जेल भरो आंदोलन की अपील की...
हर दिन सरकार की एक नई ड्रामेबाज़ी के बाद टीम अन्ना आगे की बातचीके लिए लिखित ड्राफ्ट की मांग पर अड़ी है...वहीं जनलोकपाल के मुद्दे पर बात कर रहे सरकार के एक-एक करके सभी मोहरे पिटते जा रहे है...सिब्बल के बाद मामले पर चर्चा के लिए आगे आये कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी भी फ्लॉप हो गए...बल्कि इन दोनों ने तो मुद्दे को भी गुमराह करने की कोशिश की...जनलोकपाल की 3 शर्तों पर अड़ी टीम अन्ना को बातों के जाल में गोल-गोल घुमा रहे सरकार के ये दोनों दिग्गज भी कोई हल नहीं निकाल सके...सर्वदलीय बैठक का भी कोई नतीजा नहीं निकला...विपक्ष भी कशमकश में दिखा राजनैतिक दल जनलोकपाल पर शायद इस लिए कोई फैसले या नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे हैं कि क्योंकि सभी दल ये अच्छी तरह से जानते है कि अगर जनलोकपाल बिल पास हो गया तो मौजूदा सरकार के साथ-साथ कभी ना कभी उन्हें भी इसका ख़ामियाज़ भुगतना पड़ेगा...क्योंकि बिल पास होने के बाद कोई नहीं जानता की अगली सरकार किसकी होगी...सर्वदलीय बैठक के बाद अन्ना की तरफदारी कर रही विपक्ष बैकफुट पर नज़र आई...सरकार के रोज-रोज़ बदल रहे जुमले और लहजे से साफ़ ज़ाहिर है कि इन दिनों सरकार लावारिस हो गई है...फ़िलहाल सरकार की लगाम सात समंदर बैठी यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों में है...और शायद यूपीए 2 के महारथियों पर मीलों दूर से नकेल कसी जा रही है...इसीलिए ये सही दिशा में बातचीत करने के लिए बेबस है...और शायद तभी बौखलाई सरकार एक 74 साल के बुर्जुग के साथ बेहद असंवैधानिक बरताव कर रही है...अन्ना के अनशन का 10वां दिन है...और सरकार का रवैया ग़ैर जिम्मेंदाराना...जनलोपाल बिल को लेकर बेनतीजा बैठकों का दौर जारी है...हर बैठक में सरकार का रूख़ तोला माशा हो रहा है...या ये कहें कि सरकार मुद्दे को गुमराह करने की कोशिश कर रही है...वहीं टीम अन्ना का आरोप है कि सरकार बातचीत तो कर रही है...लेकिन ये सारी बैठक बेबुनियादी साबित हुई...तो फिर ऐसी बैठकों का क्या फायदा...

Monday, August 22, 2011

"मैं अन्ना हूं"



एक 74 साल का बुज़ुर्ग...ना कोई आगे ना कोई पीछे...लेकिन आज पूरा हिन्दुस्तान इनके साथ क़दम ताल कर रहा है...सूती धोती...सफेद मामूली कुर्ता...सर पर गांधी टोपी...सांवला रंग...मियादा क़द...ना कोई स्टाईल...ना कोई स्टेटस...दुन्यावी दांव पेंच में भी हाथ तंग है...अंग्रेज़ी से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं...हिंन्दी बोलने में भी जुबान लड़खड़ा जाती है...महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव रालेगण सिद्धी से ताल्लुक़ रखते हैं शायद इसीलिए मराठी भाषा फर्राटे से बोलते हैं...

कभी दिल्ली की अजनबी गलियों में घूमने वाले इस अंजान चेहरे की आज दिल्ली है दिवानी...ये हैं महाराष्ट्र की मिसाल...बिहार है इस शख्स पर बलिहारी...गोवा और गुजरात का गुरूर है तो राजस्थान का रत्न...मध्यप्रदेश, मद्रास, मल्यालम, मनीपुर, मिज़ोरम भी है इस शख्स पर मेहरबान...छत्तीसगढ़, चंडीगढ़ का चहेता...पश्चिम बंग, पंडूचेरी, पंजाब की पहचान...सिक्किम का सूरमा...तो नागालैंड भी है इनके काम से निहाल...त्रिपुरा, तमिलनाडू की तलवार...कश्मीर केरल और कर्नाटका करता है इनकी करामत को सलाम...उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, उड़ीसा की उर्जा...हिमाचल प्रदेश और हरियाणा इनकी हर हुंकार पर हामी भरता है...असम अरूणांचल प्रदेश, आंध्राप्रदेश की आन...झारखंड का जूनून...ये बन गए हैं उभरते हिन्दुस्तान के हीरो...

देश के इन सभी सूबों में सिर्फ इस महापुरूष की चर्चा है...हमारे देश में अनेक भाषा, जाति, धर्म  है...इस देश के इतने रंग हैं कि शायद कितनों को तो इस महान आत्म की जुबान भी समझ नहीं आती होगी...लेकिन जज़्बात की कोई जुबान नहीं होती...और शायद इसी जज़्बे के साथ लोग इस शख़्स का समर्थन कर रहे है...जिसने अपने बूढ़े कंधों पर देश में फैले भ्रष्टाचार को मिटाने की ज़िम्मेंदारी उठाई है...जिसकी एक अपील पर जाग जाता है देश का हर कोना...वो है किसन बापट बाबूराव हज़ारे उर्फ अन्ना हज़ारे...


21वीं सदी के यूथ आईकन बने अन्ना की आंधी पूरे देश में चल रही है...युवा ने इन्हें अपना आईडियल बना लिया है...अन्ना की टोपी फैशन बन गई है...या ये कहें की उम्र के आख़िरी पड़ाव पर अन्ना भारत के देशी ब्रांड बनकर उभरे है...जिधर देखो अन्ना...अन्ना...अन्ना...की ही धूम है...21वीं सदी के गांधी की छवी लेकर उभरे एक मामूली शख़्स की अहिंसक क्रांति ने देश के बूढ़े जवान बच्चों महिलाओं को झींझोड़ कर रख दिया है...ताज्जुब होता है...ये देखकर कि जिस देश में सचिन तेंदुल्कर, शाहरूख़ खान, सलमान ख़ान और महेंद्र सिंह धोनी को अपना आईकान मानने वाला यूथ आज कह रहा है मैं अन्ना हूं...!!!
हैरत होती है ये देखकर...आईटम नंबर की धुन पर झूमने वाली युवा पीढ़ि आज वन्दे मातरम् का राग अलाप रही है...और ख़ुशी होती है ये देखकर रासलीला में मदहोश रहने वाली देश की युवा पीढ़ी रामलीला मैदान में देश भक्ति में लीन है...और ये सब कमाल किया हैं अन्ना की जादू की छड़ी जनलोकपाल बिल ने...



अब तक सिर्फ़ सुना था कि भारत लोकतांत्रिक देश है...लेकिन अन्ना के आंदोलन के बाद यकीन हो गया...की भारत में अगर किसी का राज है तो वो सिर्फ जनतंत्र का है...तभी तो देश का बच्चा-बच्चा अन्ना के रण रामलीला मैदान की तरफ कूंच कर रहा है...देशभर में चप्पे-चप्पे पर अन्नागिरी छाई है...देश छोड़ो आंदोलन के किस्से किताबों में पढ़ने वाला युवा वर्ग 21वीं सदी के भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना के आंदोलन का गवाह बन रहा है...और इसका अंदाज़ा अन्ना के समर्थन में सड़कों पर उमड़े जनसैलाब से लगाया जा सकता है...भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अभी तो अन्ना की ये अंगड़ाई है...लड़ाई जनलोकपाल बिल के फ़ैसले पर टिकी है...
जय हिंद….!!!!    

Thursday, July 14, 2011

मौत की मायानगरी

ये है मौत की बस्ती...यहां मौत है सस्ती...ख़ौफ़...दहशत...बेबसी...और सिसकियां...ये ज़मी निगल चुकी है लाखों ज़िंदगियां...ये है मौत की मायानगरी

चारों तरफ फैला सन्नाटा...चीख़-चीख़ कर अपनी तबाही की गवाही दे रहा है...एक बार फिर... सब कुछ उजड़ गया...हमेशा रफ्तार में रहने वाली मुंबई उस वक्त कुछ पलों के लिए थम गई...जब मुंबई में 3 जगह आईईडी, अमोनियम नाइट्रेट से कराए गए सीरियल ब्लास्ट ने पहले से सहमी मुंबई को दहला दिया...सिर्फ 10 मिनट...और थर्रा उठी मायानगरी...इस धमाके में 18 लोगों की जान आतंकियों के नापाक मंसूबे के परवान चढ़ गई...तकरिबन 140 से ज़्यादा लोग बुरी तरह ज़ख़्मी हो गए...और कुछ लोग अस्पतालों में मौत-ज़िन्दगी की जंग लड़ रहे है...
तीसरी बार आतंकियों का निशाना बने...महानगरी के झावेरी बज़ार में लगे...सीसीटीवी कैमरे ने...आतंक के सारे मंज़र को ख़ामोशी से कैद कर लिया...दादर में हुए धमाकों की तस्वीरे भी सीसीटीवी में कैद हो गई...फिलहाल सीसीटीवी में कैद संदिग्धों की जांच जारी है...जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों की मानें तो विस्फोट सेलफोन अलार्म से किया गया...धमाके के पीछे इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर का हाथ माना जा रहा है...एनआईए, एनएसजी और फॉरेंसिक टीमें जांच में जुटीं हुई हैं...मुंबई धमाकों में मारे गए लोगों में से एक की लाश पर इलेक्ट्रिक सर्किट पाया गया है...आशंका है कि  इस इलेक्ट्रिक सर्किट का इस्‍तेमाल कल हुए धमाकों में से एक को अंजाम देने के लिए किया गया हो...

इन धमाको की ज़िम्मेदारी अब तक किसी संगठन ने नहीली है लेकिन शक की सूई इंडियन मुजाहीदीन पर जा कर अटक गई है....आतंकि हमले होते है...जांच होती है...उसपर बहस होती है...और फिर मामला ठंडे बस्ते में...सवाल ये है कि मुंबई को ख़ून के आंसू रूला रहे आंतिकयों को उनके किये की सज़ा कब मिलेगी...कौन है देश और मुंबई में कोहराम मचाने का ज़िम्मेदार...
बहरहाल इस बार भी गृहमंत्रालय बेबस नज़र आया...दर्द से कराह रही मुंबई के मुखिया ने हमेशा की तरह मुआवज़े का एलान तो कर दिया...लेकिन वो आज भी मुबईकरस् को सुरक्षा का भरोसा नहीं दिला सके....  

Monday, July 11, 2011

कौन है ज़िम्मेदार ?



बेलगाम रफ्तार...मौत का सफ़र...रेलवे बेख़बर...कौन है ज़िम्मेदार?

80 ज़िन्दगियां निगल चुकी कालका मेल के दर्दनाक हादसे के बाद सभी के ज़ेहन में एक ही सवाल उठ रहे है कि आखिर और कितनी ज़िन्दगियां निगलेगी भारतीय रेल...

लगातार हो रहे हादसों से अब तक सैकड़ों लोगों की जान इन पटरियों के परवान चढ़ चुकी है...ऐसे हादसों ने कई जगहों को मौत का जक्शन बना दिया है...लेकिन हालात ये है कि अब तक रेल मंत्रालय के कान पर जुं तक नहीं रेंगी...

हादसे पर दुख जताते हुए रेलवे मुआवज़े का तो बंदोबस्त कर देती है...लेकिन आगे ऐसी अनहोनी ना हो इससे रेलवे बेखबर है...हमेशा गफलत में रहने वाला रेल मंत्रालय हादसों के वक्त जागता है...और फिर गहरी नींद में सो जाता है...बहरहाल ममता ने जब से पं. बंगाल की सत्ता संभाली है...तब से रेल मंत्रालय राम भरोसे ही चल रहा है ज्यादातर महकमों के आला पद खाली पड़े है...पीएम पहले से ही कई मंत्रालयों की कमान संभाल रहे है....ऐसे में रेल मंत्रालय का भार भी उनके कंधों पर है...

हाल ही में हुए हादसों के बाद भी रेलवे को कोई सबक़ नहीं मिल रहा है...रेलवे...मुसाफिरों को शुभयात्रा की दुआएं तो देती है...लेकिन वो....यात्रियों की शुभयात्रा के इंतज़ाम से बेखबर है ऐसे में अनहोनी होना लाज़मी है...
बहरहाल इससे पहले 22 मई को गरीब रथ में हुए हादसे में 20 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी...रेल मंत्रालय की नींद नहीं खुली...7 मई को मौत की क्रॉसिंग पर मथुरा-छपरा एक्सप्रेस ने बारातियों से भरी बस पर अपना क़हर बरपाया...तब भी रेल मंत्रालय सोया रहा...और इस बार शामत थी कालका मेल के यात्रियों की...मौत का मातम बनकर आई रेलवे की लपरवाही ने मासूम बच्चों को अनाथ बना दिया...अपनों को खोने का गम...अपनों को तलाशती ये मायूस नज़रे...और इनकी सिसकियों के सामने रेल मंत्रायल बेबस नज़र आ रहा है....ऐसे में सवाल यही उठता हैआखिर इस मौत की मेल का कौन है ज़िम्मेदार

Thursday, June 9, 2011

आने वाले आते है..और चले जाते है...

आने वाले आते है..और चले जाते है...लेकिन कुछ ऐसा कर जाते हैं...नाम जग में अमर कर जाते है...कला के जिस फ़नकार को नमन करे ज़माना...हम भी सुना रहे है उन्हीं का फसाना...


फनकारों की आंखें नम है...कला की दुनिया में है मातम का माहौल...क्योकिं नहीं रहे मशहूर फनकार मक़बूल फिदा हुसैन...लंबे वक्त से ज़िंदगी और मौत के बीच जद्दोजहद कर रहे एम एफ हुसैन को मौत ने अपनी आगोश में ले लिया...लंदन के रॉयल ब्रॉम्टन हॉस्पीटल में भारत के पिकासो ने आखरी सांसे ली...




17 सितंबर 1915 में महाराष्ट्र के पढेरपुर में जन्में...हुसैन के हुनर से कौन वाक़िफ़ नहीं...इस फनकार ने अपने फन से पूरी दुनिया को अपना क़ायल बनाया...इस लिए इन्हें भारत का पिकासो कहते थे...वर्क पर उकेरी गई हुसैन की लकीरे बोल उठती थी...एम एफ हुसैन की हर पेंटिंग में कुछ न कुछ पैगाम छुपा होता था...
हुसैन को उनकी चित्रकारी के लिए 1973 में पदमभूषण और 1991 में पद्मविभूषण अवार्ड से नवाज़ा गया...इसके अलावा इन्हें पद्मश्री अवार्ड भी दिया गया...और देखते ही देखते हुसैन चित्रकारी की दुनिया के सबसे मंहगे चित्रकार बन गए...अपनी फ़न से चित्रकारी की दुनिया में देश का नाम रौशन करने वाले हुसैन ने फिल्मों में भी अपना हुनर दिखाया...1967 में हुसैन की पहली फिल्म थ्रो द आईज़ ऑफ ए पेंटर में गोल्डन बीयर अवार्ड से नवाज़ी गयी... इसके अलावा हुसैन ने गजगामिनी और मीनाक्षी जैसी फिल्में भी बनायीं...




1996 से एम एफ हुसैन अपनी चित्रकारी पर उठे विवादों में घिरते चले गये...लेकिन हालात कुछ ऐसे हुये की इस फनकार को देश बदर कर दिया गया...6 फरवरी 2006 को एम एफ हुसैन के ज़रिए बनाई गई भारत माता…और देवी देवताओं की आपत्तिजनक पेंटिंग के विवाद की वजह से इस फनकार को देश छोड़ना पड़ा...और वो 2006 में लंदन जा बसे...उसके बाद उन्हें 2010 में क़तर की नागरिकता मिल गई...लेकिन देश बदर होने का मलाल हुसैन के दिलों ज़ेहन में आख़री वक्त तक छाया रहा... और शायद इसी वजह से उनकी सेहत बिगड़ती गई...और वतन वापसी के इंतज़ार में इस फनकार ने अपनी आंखे गैरों के बीच बंद कर ली...

Thursday, June 2, 2011

बाबा का 5 स्टार सत्याग्रह


लक्ज़री सुविधाओं से लैस सत्याग्रह
पंडाल के अंदर AC, ICU, 5000 पंखे
2000 वर्ग फिट का मंच
1 लाख स्क्वॉयर फिट का तंबू
पानी के पुख़्ता इंतज़ाम
सुरक्षा व्यवस्था चौकस 
लक्ज़री सुविधाओं से लैस बाबा राम देव के सत्याग्रह में हर ऐशों अराम की चीज़ मौजूद है...बाबा के सत्याग्रह की तैयारी तकरीबन 80 प्रतिशत पूरी हो चुकी है...रामलीला मैदान को पूरी तरह से घर जैसा बनाने की कोशिश की गई है...


बाबा के सत्याग्रह के पंडाल में पानी का इंतज़ाम सबसे अच्छा किया गया है...पूरे मैदान में पाईप का जाल बिछाया दिया गया है...रामलीला मैदान में इतने नल लगाए गए हैं...जिसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है...लेकिन इंतज़ामियां इसकी संख्या तकरीबन 1 हज़ार बता रहे है...इसके अलावा पानी की टंकियों का भी इंतज़ाम है...
सात्याग्रह के लिए बनाये गए वॉटर प्रूफ पंडाल में 5000  फंखे और एसी लगाऐ गए हैं...इसके अलावा पंडाल में स्वास्थय के मद्देनज़र दो आईसीयू की सुविधा है...एक–एक आईसीयू में 50 मरीज़ों के बेड का इंतज़ाम किया गया है...मंच के पीछे चार ऐसे एयर कंडीशन कमरे बनाए गए है जहां तबियत बिगड़ने पर थोड़ी देर के लिए अनशन पर बैठे लोग आराम कर सकें...शिविर में 1200 टोलेट का भी इंतज़ाम किया गया है...
अष्टांग योग शिविर के नाम से 4 जून से शुरू हो रहे बाबा के सत्याग्रह की सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किए गए है...छावनी में तब्दील रामलीला मैदान में सरकारी सुरक्षा बल के साथ-साथ बाबा के निजी भारत स्वाभीन ट्रस्ट के 500 सुरक्षाकर्मी भी रामलीला मैदान में तैनात हैं...जो रामदेव की आंतरिक सुरक्षा करेंगे...इसके अलावा लोगों की सुविधा के लिए पूछताछ केंद्र, मीडीया केंद्र बनाए गए हैं...  
सत्याग्रह की सारी कहानी बाबा के योग शिविर के आड़ में अंजाम दी जा रही है...मतलब साफ़ है कि बाबा सत्याग्रह में जंतर मंतर पर बैठेंगे और बीच-बीच में हालचाल लेने रामलीला मैदान आते रहेगे...यानी बाबा सरकार पर एक तीर से दो निशाना साधने की फिराक़ में है...

Thursday, May 26, 2011

ये सरकारी दमाद कब तक देश का ख़ून पीता रहेगा ?

                                        कसाब का हिसाब
                            मौत के सौदागर की इज़ज्त आफ़ज़ाई
                                        देश का गुनाहगार 
                                                   या 
                                          देश का दमाद ?

26/11 को माया नगरी में घुसकर तबाही मचाने वाले मौत के सौदागर आमिर अजमल कसाब की सुरक्षा में अब तक करोड़ो रू0 फ़ूंके जा चुके हैं...मुंबई आर्थर रोड  जेल में  कैद जिन्दा  कुख्यात आतंक आमिर अजमल कसाब की सुरक्षा में खर्च हुए 10 करोड़ रुपये बिल  इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस ने राज्य सरकार को भेजा है...देश के दोषी की सुरक्षा में लगी आईटीबीपी ने महाराष्ट्र सरकार को डेढ़ साल क10 करोड़ रुपये का बिल भेजा है...हालांकि इस बिल को चुकाने से सरकार ने इनकार कर दिया है...राज्य सरकार का कहना है कि कसाब पूरे देश का सिरदर्द है, अकेले मुंबई का नहीं...
लेकिन आईटीबीपी ने बिल को रद्द किए जाने  के फैसले को मानने से इनकार कर दिया  है...बिल 28 मार्च 2009 से लेकर 30 सितंबर 2010 तक का  है...करीब 2 साल से  आईटीबीपी के 150 कमांडोज़ लाइट मशीन गन्स और ग्रेनेड लॉन्चर्स से लैस होकर आर्थर रोड जेल में बंद कसाब की सुरक्षा में तैनात हैं...

 
ख़ैर मुंबई में मौत बांटने वाले देश के सबसे बड़े दुश्मन की हिफ़ाज़त शाही अंदाज़ में की जा रही है...आख़िर ये सरकारी दमाद कब तक देश का ख़ून पीता रहेगा...कब तक इसकी खिदमत में देश के जवान पसीना बहाते रहेंगे...और आखिर कब तक सुरक्षा एजेंसियों और सरकार में खींचतान चलती रहेगी....ये एक बड़ा सवाल है...